दोस्तों भारत आज के समय में काफी तेजी से डिजिटल होता जा रहा है और इसके साथ ही लोगों की आदतें भी पूरी तरह से बदल रही है। क्योंकि जहाँ एक तरफ पहले आपको किसी भी छोटे से लेकर बड़े सामान को लेने के लिए बाजार तक जाना पड़ता था, आज वही सामान आप घर बैठे ऑनलाइन वेबसाइट से या फिर ऐप्लिकेशन के जरिए मांगा सकते हैं। और दोस्तों इसी कड़ी में ऑनलाइन फूड ऑर्डर करना भी आज के लाइफ स्टाइल का हिस्सा बन चुका है क्योंकि Zomato, Swiggy और Uber Eat की तरह ही कई सारे कंपनीज़ ने खाना ऑर्डर करने का प्रोसेसर इतना सुविधाजनक और आसान कर दिया है कि आप हजारों अलग अलग रेस्टोरेंट्स में से किसी भी अपने पसंद के जगह से खाना मंगवा सकते हैं।
दोस्तों, आज हम बात करेंगे सबसे लोकप्रिय ऑनलाइन फूड डिलिवरी सर्विस प्रोवाइड करने वाली कंपनी Swiggy के बारे में
जिसने अपने स्टार्टअप के बाद से ही कुछ ऐसी लोकप्रियता हासिल कर ली कि महज कुछ सालों में ही यह कंपनी आज हर जुबां पर छाई हुई है। वैसे दोस्तों अगर देखा जाए तो इस कंपनी की सफलता तो हमें दिखाई दे ही रही है, लेकिन इस स्टार्टअप को शुरू करने से पहले भी
उसके फाउंडर्स ने कई सारे प्रयास किए थे और हर बार उन्हें निराशा ही हाथ लगी थी। लेकिन हारना मानते हुए किस तरह से वह आगे बढ़ते गए, आज में हम स्विगी के सफलता की पूरी कहानी जानेगे।
तो दोस्तों स्विगी की शुरुआत राहुलजेमिनी, श्रीहर्ष मजेटी, और नंदन रेड्डी ने एक साथ मिलकर किया था, जिसमें श्रीहर्ष और नंदन रेड्डी , बिट्स पिलानी से एक साथ ग्रैजुएशन किया करते थे और दोनों के मन में हमेशा ही अपना खुद का बिज़नेस स्टार्ट करने की चाह थी। हालांकि ग्रैजुएट होने के बाद से श्रीहर्ष ने लंदन के एक बैंक में जॉब भी की, लेकिन इस काम में ज्यादा इंटरेस्ट ना होने की वजह से उन्होंने नौकरी छोड़ दी और फिर नंदन रेड्डी के साथ वहाँ स्टार्टअप के अल-अलग आइडिया डिस्कशन करने लगे और फिर काफी सारे रिसर्च के बाद से दोनों ने एक साथ मिलकर
लॉजिस्टिक्स सॉल्यूशंस के लिए एक बिज़नेस स्टार्ट किया, जिसका नाम था Bundel । हालांकि पूरे साल इस कॉन्सेप्ट पर काम करने के बाद से उन्हें स्टार्टअप में कई सारे परेशानियों का सामना करना पड़ा और फिर अंत में जाकर वह फेल हो गए और फिर 2014 में उन्होंने इस कंपनी को बंद करने का फैसला कर लिया।
हालांकि यहाँ पर नंदन रेड्डी और श्रीहर्ष दोनों ही काफी दुखी हुए, लेकिन हार ना मानते हुए उन्होंने इसी कॉन्सेप्ट से ही जुड़ा हुआ कोई और स्टार्टअप करने का सोचा और फिर अपने पुराने गलतियों से सीख लेते हुए दोनों ने एक बार फिर से काफी रिसर्च किया।
और फुड सेक्टर में कदम रखने का फैसला किया और इसी तरह से अगस्त 2014 में Swiggy की नींव रखी गई। हालांकि यहाँ पर अब श्रीहर्ष और नंदन रेड्डी को कोडिंग से जुड़े हुए काम के लिए किसी टेक्निकल बंदे की जरूरत पड़ी और तभी उन्होंने राहुल को भी अपनी टीम में शामिल कर लिया
दोस्तों राहुल भी आइआइटी खड़गपुर से अपनी पढ़ाई पूरी कर चूके थे और दोस्तों Swiggy की शुरुआत बैंगलोर के कोरमंगला नाम की जगह पर हुई थी जहाँ पहले 6 डेलिवरी बॉय और उनके पोर्टल पर कुल 25 रेस्टोरेंट ही मौजूद थे। लेकिन 2015 तक स्विगी के कॉनसेप्ट को
इन्वेस्टर्स ने काफी पसंद किया और फिर दो मिलियन डॉलर्स की उन्हें फंडिंग मिल गई और फिर इसी तरह से आगे चलकर धीरे धीरे बढ़ते हुए स्विगी के साथ 5000 रेस्टोरेंट और जुड़ गए, जिसकी संख्या 2019 में उछाल लेकर 40,000 के भी पार पहुँच चुकी है और दोस्तों बैंगलोर शहर के एक छोटे से एरिया से शुरू होने वाला या बिज़नेस भारत के लगभग हर शहर में अब अपने पैर जमा चुका है
वैसे इस स्टार्टअप को टक्कर देने के लिए कई सारी कंपनीज आई और चली गईं। लेकिन जो सफलता Swiggy को मिली वो सच में हैरान कर देने वाली है।
और आज के समय में Swiggy Food Ordering Market को पूरी तरह से डॉमिनेंट कर रही है। हालांकि दोस्तों इस सफलता के पीछे की जो मुख्य वजह है वो इसके पहले शुरू किए गए स्टार्टअप का असफल होना
क्योंकि असफलता के बाद से ही सीख लेते हुए स्विगी के फाउंडर्स आगे बढ़े और सफल हुए। साथ ही उन्होंने भारत के हजारों बेरोज़गारों को नौकरियां भी दी। और दोस्तों उम्मीद करते हैं की आप भी इस कहानी से इंस्पायर होकर कभी भी हार नहीं मानेंगे बल्कि हार से सीख लेते हुए आगे बढ़ते रहेंगे।
आपका बहुमूल्य समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।