समुद्र के 100 फिट अंदर पानी के हाई प्रेशर को झेलना हो या फिर माउंट एवरेस्ट के हाई अल्टिट्यूड हो चाहे अत्यधिक ठंडी हो या फिर गर्मी हो रोलेक्स वॉच हर जगह बिल्कुल सटीक टाइम बताती हैं। अब वैसे तो रोलेक्स की घड़ियां 4 -5 लाख से शुरू होती है Rolex की सबसे सस्ती घडी की कीमत 4 लाख है और इसे खरीदने के लिए लोगो को 2 से 3 साल तक का वेट करना पड़ सकता है। आखिर क्यों रोलेक्स वॉच का इतना ज्यादा फेमस और कॉस्टली है? क्यों UAE के रॉयल फैमिली तक को उनकी मनचाही रोलेक्स वॉच बिना वेटिंग पीरियड के नहीं मिल पाती? और किस तरह से रोलेक्स ने अपनी ड्यूरेबिलिटी को एवरेस्ट की उचाई से समुद्र की गहराई तक हर जगह प्रूफ करके दिखाया है। चलिए जानते है-
Rolex की शुरुआत कैसे हुई –
तो दोस्तों रॉलेक्स की कहानी स्टार्ट होती है। 1905 से जब है हैंस विल्सडोर्फ़ और अल्फा डेविस ने मिलकर लंदन में विल स्टोर डेविस नाम के कंपनी की शुरुआत की। यहाँ पर वो रिस्ट वॉच बनाकर ज्वेलर्स को भेजते थे। इसके बाद से ज्वैलर्स उन घड़ी के डायल्स पर अपना नाम लगाकर कस्टमर्स को बेचा करते थे क्युकि उस समय कलाई घडी सटीक टाइम देखने के लिए इस्तेमाल नहीं की जाती थी क्योंकि उसकी ऐक्युरेसी उतनी अच्छी नहीं थी उस समय जितनी की पॉकेट वॉच की होती थी। लेकिन पॉकेट वॉच के साथ समस्या यह थी कि यहाँ पानी पड़ने पर खराब हो जाती थी या आप ज्यादा उचाई पर चले गए तो भी ये घड़ी काम करना बंद कर देती। लेकिन इन कमियों के बावजूद लोग तब भी ऐसे यूज करते थे क्योंकि उस समय तक टाइम देखने का और कोई दूसरा ऑप्शन ही नहीं था। उस समय पर कलाई घडी को बड़े बड़े रईस लोग एक ज्वेलरी पीस की तरह पहना करते थे। लेकिन फिर हैंस विल्सडोर्फ़ ने देखा कि टाइम देखने के लिए रिस्ट वॉच ,पॉकेट वॉच से कहीं ज्यादा रिलायबल है तो क्यों ना इसके टाइम को ही इतना पर्फेक्ट बना दिया जाये की ये सिर्फ एक ज्वेलरी पीस की तरह नहीं बल्कि सटीक टाइम पता करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सके? इसके लिए वो कई घड़ी बनाने वालो से जाकर मिले और उनसे हर Skills को सीखा जिसके वो एक्स्पर्ट हुआ करते थे। घड़ियों के बारे में ढेर सारी जानकारी इकट्ठा करने के बाद विल्सडोर्फ़ ने खूब एक्सपेरिमेंट की और बना डाली। दुनिया की सबसे एक्यूरेट टाइम बताने वाली रिस्ट वॉच वैसे इन Wrist Watch को बनाने के बाद भी वैसे ज्वेलर्स को ही बेच कर पैसे कमाया करते थे, लेकिन इन्होंने देखा कि धीरे धीरे मार्केट में इनकी घड़ियों की डिमांड बढ़ती जा रही है और लोग इनके वॉच को खूब पसंद कर रहे हैं। तो फिर ऐसे में क्यों ना अपने खुद के ब्रैंड नेम के साथ मार्केट में उतारा जाए और फिर इसी सोच के साथ वे खुद के ब्रैंड नेम से wrist watch बनाने लगे?
हालांकि उस समय कंपनी का नाम Wilsdorf & Devis था, जिससे अगर डायल पर लिखा जाए तो यह बहुत बड़ा हो जाता था। इसलिए इन्होंने अपने ब्रैंड नेम को छोटा और आसान बनाकर 1908 में कंपनी का नाम बदलकर Rolex कर दिया। अब Rolex अपने आधुनिक प्रोडक्ट्स से धीरे धीरे मार्केट में पकड़ बनाने लगा। साथ ही उसे और भी बेहतर बनाने के लिए नयी नयी तकनीक डेवलॅप की । सन 1908 में ही इन्होंने अपनी कंपनी का ऑफिस स्विट्जरलैंड के जेनेवा में ओपन कर लिया और फिर वहाँ सब कुछ मैनेज करने लगे। लेकिन सन 1919 में ने अपने लंदन वाली कंपनी बंद करनी पड़ गई। क्योंकि वहाँ की गवर्नमेंट ने टैक्स इतना ज्यादा बढ़ा दिया था कि वहाँ का प्रॉफिट मार्जिन लगभग ना के बराबर रह गया था। हालांकि कंपनी का स्विटज़र लैंड में होना भी इनके ब्रैंड वैल्यू को बढ़ाने में बहुत मददगार साबित हुआ, क्योंकि उस समय Swiss made watches सबसे ज्यादा सटीक टाइम बताने के लिए जानी जाती थी और दुनिया भर में इनकी खूब डिमांड भी थी। ऐसे में रोलेक्स की घड़ियां पर जब लोग Swiss Made देखते थे तो बिना ज्यादा सोचे समझे उसे खरीद लेते और कंपनी को भी इससे खूब प्रॉफिट हुआ।
Rolex ने दुनिया की पहली Water Proof घड़ी कब बनायीं-
रोलेक्स का मकसद सिर्फ टाइम ऐक्युरेसी को ही मेनटेन करना नहीं था बल्कि वो एक ऐसी घड़ी भी बनाना चाहते थे। जो पानी, डस्ट या फिर बाकी के इन्वाइरन्मेन्टल फैक्टर में भी कभी खराब ना हो। इसीलिए उन्होंने काफी मेहनत और एक्सपेरिमेंट के बाद 1926 में Rolex Oyster नाम की एक Watch लॉन्च करी जो कि पूरी दुनिया की पहली Waterproof Watch & Dustproof थी। वॉटर्प्रूफ घड़ी उस समय एक बहुत बड़ा इनोवेशन था, लेकिन ये सक्सेसफुल तभी हो पाता जब ज्यादा से ज्यादा लोग इसके बारे में जाने इसी बात को ही समझते हुए हैंस विल्सडोर्फ़ ने इवेंट मार्केटिंग का सहारा लिया रोलेक्स ने अपनी ड्यूरेबिलिटी को कैसे प्रूफ किया और रोलेक्स ऑयस्टर कैसे की चलिए बताते है
रोलेक्स ने Free में Advertisemet कैसे की-
उस समय जब हर खेल में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाए जाते थे। तब पूरी दुनिया और मीडिया की नजर उन्हीं खेलों पर टिक्की रहती थी और अगले दिन न्यूज पेपर में उसी से रिलेटेड न्यूज ही टॉप पर हुआ करती थी। रोलेक्स ऑयस्टर को लॉन्च करने के एक साल बाद उनको अपनी घडी की क्वालिटी को साबित करने का एक सुनहरा मौका मिल गया। क्युकी अक्टूबर 1927 को मर्सिडीज़ ग्लीट्जे नाम की एक स्विमर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने जा रहे थे । इसके लिए उन्हें 34 किलोमीटर लंबे इंग्लिश चैनल को तैर कर क्रॉस करते हुए इंग्लैंड से फ्रांस तक पहुंचना था। इस मौके पर रोलेक्स ने स्विमिंग के दौरान टाइम को कैलकुलेट करने के लिए अपनी वॉटर्प्रूफ घड़ी ऑयस्टर उनको ऑफर की, जिसे ग्लिटर्स ने एक धागे से बांधकर अपने गले में पहन लिया। उन्होंने सुबह 7:30 बजे से तैरना शुरू किया और लगातार 10 घंटे तक तैरकर शाम से पहले ही फ्रांस पहुँच गई। और उस समय घड़ी मैं एक सेकंड का भी फर्क नहीं आया था। ये वर्ड रेकोर्ड सर ग्लीट्जे के साथ -साथ रोलेक्स के लिए भी बहुत बड़ी जीत साबित हुई। क्योंकि खारा पानी, पानी का दबाव और कई तरह के इन्वाइरन्मेन्टल फैक्टर्स होने के बावजूद भी रोलेक्स ऑयस्टर बिल्कुल बेहतर कंडीशन में थी। ये पूरी दुनिया के सामने उसकी ड्यूरेबिलिटी और वॉटरप्रूफ कैपेबिलिटी को साबित कर रहा था। और अखबारों में जमकर इसकी तारीफ की गई, जिससे कि कंपनी का मुफ्त में ही ऐडवर्टाइजमेंट हो गया। इसके बाद भी इसने खुद को इनोवेशन से दूर नहीं किया और लगातार करते गए।
संन 1945 में रोलेक्स ने पहली बार डेट दिखाने का फीचर भी अपनी घड़ियों में लेकर आया फिर संन 1953, जब सर एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नोर्गे दुनिया के सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करके वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने जा रहे थे ऐसे में रोलेक्स कैसे पीछे रहता यहाँ भी इसने इन क्लाइंबर्स को अपनी वॉचेस ऑफर की, सर एडमंड हिलेरी और नॉर्गे दुनिया के पहले क्लाइंबर्स बने, जिन्होंने माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने का वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किया और इनके साथ साथ रोलेक्स का नाम भी खूब फेमस हुआ। क्योंकि इस कंपनी की वॉच ने हाई एल्टीट्यूड, एक्स्ट्रीम कोल्ड में भी बिल्कुल सटीक टाइम बताया था। इस तरह के इवेंट से कंपनी को खूब सक्सेस मिली और बहुत ही तेजी से रोलेक्स खुद की एक यूनीक ब्रैंड इमेज डेवलप करने में कामयाब हो गई। ये लगभग हर उस इवेंट में शामिल होते थे जिसपर लाखों लोगों की नजर होती थी। इतना ही नहीं सन 1960 में पनडुब्बी की मदद से इस घड़ी को समुद्र के 100 फिट अंदर भेजा था। और हैरानी की बात ये है की वहाँ पर पानी का हाइ प्रेशर होने के बाद भी घड़ी बिल्कुल सही तरीके से काम कर रही थी। इस तरह से Rolex ने साबित कर दिया कि पानी की गहराई हो या फिर एवरेस्ट की उचाई, उनकी घड़ियां सटीक टाइम बताने में सबसे बेहतर है और यही कारण है की रोलेक्स इतनी फेमस हो रही थी। मगर इसके बाद एक अनहोनी हो गयी ऐक्चूअली 6 जुलाई 1960 को हैंस विल्सडोर्फ़ की 79 साल की उम्र में निधन हो गया, जिसके बाद से कंपनी उनके नाम पर बने हुए हैं। N.G.O. के हाथ में चली गयी और आज भी Well Fare Foundation नाम का ये एनजीओ रोलेक्स को बहुत ही सफलता पूर्वक ऑपरेट कर रहा है। रोलेक्स अपने 90% प्रॉफिट को हर साल दान कर देता है। अब कंपनी बेसिकली अपने वॉच के लिए इलीट क्लास को टारगेट कर रही थी। इसीलिए वो उन गेम्स को स्पॉन्सर करने लगी जिसे देखने के लिए बहुत सारे रईस लोग जमा होते थे। जैसे की पोलो हॉर्स राइडिंग या फिर गोल्फ। लेकिन बदलते वक्त के साथ एक पॉवरफुल मार्केटिंग का तरीका भी फेल होने लगता है। इस बात को रोलेक्स बहुत अच्छे से समझता था। इसीलिए वो अपनी घड़ियों को सिर्फ टाइम देखने की मशीन की तरह ही नहीं बल्कि एक इमोशन और सक्सेस से जोड़कर प्रोमोट करने लगा। जैसे की अगर आप अपनी लाइफ में कुछ बड़ा अचीव कर रहे हैं|
Rolex की लिमिटेड सप्लाई स्ट्रटेजी –
दोस्तों Rolex ने अपनी ब्रांड वैल्यू को और बढ़ाने के लिये लिमिटेड सप्लाई स्टैट्जी अपनायी इस स्ट्रैटजी में होता यह है की डिमांड से काम मॉल की सप्लाई की जाती है जिससे ब्रैंड वैल्यू को और ज्यादा इन्क्रीज़ किया जा सके इसी स्ट्रैटिजी के तहत रोलेक्स ने अपनी वॉचेस को बहुत ही लिमिटेड शॉप पर अवेलेबल कराया और वहाँ भी आपको घड़ी ऑर्डर देने के कई साल बाद ही रिसीव होगी और वो भी ऑर्डर प्राइस पर नहीं बल्कि उस टाइम के मार्केट प्राइस पर। फिर भी रोलेक्स की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है। रोलेक्स की घड़ियाँ हाई क्वालिटी मटेरियल जैसे कि प्लैटिनम, गोल्ड, सिल्वर, हाई क्वालिटी स्टील आदि से बनी होती है जिससे ये इतनी महंगी होती है रोलेक्स हर साल लगभग 10 लाख यूनिट्स बेच कर 80,000 करोड़ रुपये का रेवेन्यू जेनरेट कर रहा है।और आज इस ब्रैंड के सामने कोई भी नहीं टिक पा रहा है|