दोस्तों आपने अक्सर आपने सुना होगा की जितना आसान पैसा कमाना है, उससे कहीं ज्यादा मुश्किल काम है उसे बचाकर रखना। इसलिए आज हर कोई पैसा बचाने की नई-नई तरकीब सोचता रहता है। पैसे बचाने के लिए कोई इसे सेविंग अकाउंट पे रखता है तो कोई उसे शेयर मार्केट में इन्वेस्ट कर देता है। इसके लिए इन्वेस्टर्स बहुत बारीकी से analysis भी करते है।
एक अच्छा इन्वेस्टर वही होता है जो यह जानता है कि जिस कंपनी में वो अपने पैसे इन्वेस्ट कर रहा है। उसके फाइनैंशल स्टेटस क्या है और उसका फ्यूचर प्लैन क्या है? अब इन सब जानकारीयों के बाद ही वो भविष्य में आने वाले खतरे से खुद को बचा सकता है। लेकिन हमारे देश में एक इन्वेस्टर ऐसे भी हैं जिन्होंने एक कंपनी की फाइनैंशल कंडिशन के बारे में इतनी बारीकी से रिसर्च किया कि एक स्कैम का ही पर्दाफाश कर दिया। हम बात कर रहे हैं अरविंद गुप्ता की।
इन्होंने ना सिर्फ खुद को रिस्क से बचाया ही नहीं बल्कि ICICI Bank में हो रहे एक बड़े स्कैम से पर्दा उठा दिया। आज ICICI Bank को कौन नहीं जानता? एक लीडिंग प्राइवेट सेक्टर बैंक होने के अलावा ये एक भरोसेमंद बैंक बनकर भी उभरा है। लेकिन एक समय सभी आया था
जब पूरे भारत के सामने ICICI Bank को शर्मिंदगी का पात्र बनना पड़ा था और यह तब हुआ जब इस बैंक के एक छोटे से इन्वेस्टर अरविंद गुप्ता ने 3250 करोड़ का स्कैम का पर्दाफाश किया। आज हम इस स्कैम के बारे में गहराई से बात करेंगे।
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तो चलिए शुरू करते हैं दोस्तों इस कहानी की शुरुआत होती है साल 2016 से, जब भारत के मामूली से इन्वेस्टर अरविंद गुप्ता ने अपने ऑनलाइन ब्लॉग में इंडियन बैंकिंग सिस्टम के लूपहोल्स पर सनसनीखेज खुलासे किए थे। इसी तरह उन्होंने अपने एक ब्लॉग में आइसीआइसीआइ बैंक और विडियोकॉन कंपनी के बीच हुए 3250 करोड़ के लोन अग्रीमेंट पर नजर दौड़ाई।
इस ब्लॉग में अरविंद ने इन दोनों के बीच हुए लोन अग्रीमेंट को गैरकानूनी बताया। इस पर उनका तर्क यह था कि ICICI Bank की M.D.चंदा कोचर और उनके हस्बैंड दीपक कोचर और विडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणु गोपाल धूत मिलकर एक बड़े घोटाले को अंजाम दे रहे हैं तो उसके बारे में न तो भारतीय सरकार को कोई खबर है और ना ही RBI को। अपने इस ब्लॉग में उन्होंने ठोस सबूतों के साथ इस बात का दावा किया कि ICICI Bank की MD. Chanda Kochar उनके हस्बैंड Deepak Kochar और विडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन VN. Dhoot का बहुत पहले से ही आपस में रिलेशन रहा है।
जिसकी वजह से मॉनिटरी और नॉन मॉनीटरी बेनिफिट के लालच में आकर चंदा कोचर ने बिना कोई नियमों का पालन करते हुए वेणु गोपाल के 3250 करोड़ के लोन को अप्रूव कर दिया है।
इससे भी चौंका देने वाली बात ये थी कि चंदा कोचर को यह बात पता थी कि विडियोकॉन ग्रुप कभी इस लोन को चुका नहीं पाएगा। हालांकि अरविंद गुप्ता के इतने बड़े खुलासे के बाद भी भारत सरकार, आरबीआइ और बैंकिंग इंडस्ट्री के दूसरे शेयर होल्डर्स ने कोई खास ध्यान नहीं दिया।
इसके बाद उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, RBI गवर्नर और मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स को लेटर लिखे। लेकिन अफसोस की बात यह रही कि अरविंद गुप्ता की यह कोशिश भी नाकाम साबित हुई।इससे भी उन्हें कोई लाभ नहीं हो रहा था।
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लेकिन इस कहानी में साल 2018 में एक नया मोड़ आया था जब एक और व्यक्ति ने ICICI Bank के टॉप ऐड्मिनिस्ट्रेशन के लूपहोल्स पर कई खुलासे किए, जिसमें उन्होंने विशेष तौर पर चंदा कोचर द्वारा साल 2008 से लेकर 2016 तक किए गए लोन माल प्रैक्टिस पर निशाना साधा था तो वहीं दूसरी ओर अरविंद गुप्ता ने भी अभी हार नहीं मानी थी।
उन्होंने भी ICICI Bank के बोर्ड डायरेक्टर से मिलकर इस स्कैम के बारे में जानकारी दी। यह सारी बात जैसे ही चंदा कोचर को पता चली तो उनके द्वारा किए गए स्कैम से पर्दा उठने वाला है तो उन्होंने अर्ली रिटायरमेंट के लिए अप्लाइ कर दिया जिससे ICICI Bank ने तुरंत मंजूर कर लिया।
हालांकि यह हो ना सका क्योंकि मार्च 2018 में अरविंद गुप्ता से मिलने के बाद ICICI Bank ने चंदा कोचर पर एक इन्क्वाइरी बैठा दी है, जिसमें कई सालों पहले किए गए 3250 करोड़ के घोटाले में चंदा कोचर का नाम सामने आता है। इस स्कैम में उनकी अहम भूमिका समझते हुए ICICI Bank ने चंदा कोचर के रिटायरमेंट को मना कर दिया
हालांकि चंदा कोचर ने इसे हाईकोर्ट में चैलेंज किया लेकिन उन्हें असफलता ही मिली। इस केस में अभी भी इन्वेस्टिगेशन काफी धीरे हो रही थी, लेकिन इस केस में रफ्तार तब मिली जब भारत सरकार ने इस केस को CBI और ED के हाथों में सौंप दिया।
जिसके बाद सीबीआई ने साल 2019 में चंदा कोचर, दीपक कोचर और V.N Dhoot के साथ Nupower Renewables L.t.d., Supreme Energy Pvt. , विडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और विडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड कंपनी पर IPC के क्रिमिनल कॉन्स्पिरेसी और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन ऐक्ट के तहत FIR दर्ज करती है और इसी के बाद एक एक करके कोचर और वेणुगोपाल धूत के द्वारा किए गए घोटाले से पर्दा उठने लगा|
अपने जांच के दौरान सीबीआइ ने ये पाया कि 2009 में विडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड को आइसीआइसीआइ बैंक द्वारा 300 करोड़ का लोन दिया गया था। ये लोन विडियोकॉन की खराब फाइनैंशल स्टेटस को जानते हुए भी दिया गया और ये लोन ICICI Bank के सैंक्शन कमिटी ने अपने हेड चंदा कोचर के कहने पर ही दिया था।
इस 300 करोड़ के लोन अप्रूवल के बाद विडियोकॉन ग्रुप ने ₹64 करोड़ Nupower Renewables L.t.d में ट्रांसफर किए थे। अब यहाँ पर हैरानी की बात तो ये है की ये कंपनी किसी और की नहीं है बल्कि चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की है। आप विडियोकॉन ग्रुप में Nupower Renewables L.t.d के जरिए चंदा कोचर को इस लोन को पास कराने के लिए रिश्वत दे दी है। हालांकि यह रिश्वत चंदा कोचर को सीधे ना देकर उनकी पति की कंपनी में एक इन्वेस्टमेंट के तौर पर दी थी। इसके अलावा सीबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा था
ये ICICI Bank ने Videocon Group की अलग-अलग 6 कंपनियों को 3250 करोड़ का लोन दिया है।
MD बनते ही चंदा कोचर ने आईसीआईसीआई बैंक के क्रेडिट पॉलिसी और आरबीआई के रूल्स और रेग्युलेशन को फॉलो किए बिना विडियोकॉन ग्रुप को काफी लार्ज स्केल पर लोन देना शुरू कर दिया और इस बार उन्हें इस लोन को पास कराने के बदले वेणुगोपाल ने एक बहुत बड़ी रिश्वत भी दी।
उन्होंने एक मास्टरमाइंड की तरह अपनी कंपनी सुप्रीम एनर्जी और एक बेशकीमती फ्लैट उनके नाम कर दिया।
चंदा कोचर ने लोन बैंकिंग रेग्युलेशन act, RBI की गाइडलाइन्स और बैंक के क्रेडिट पॉलिसी को भले ही फॉलो ना किया हो लेकिन लालच और भ्रष्टाचार के रूल्स को काफी अच्छे से फॉलो किया और वीडियोकोन ग्रुप के लोन को पास कर दिया। वो इस बात अच्छे से जानती थी कि Videocon Group कभी इस लोन को चुका नहीं पाएगा और आने वाले समय में यह कंपनी Bankrupt हो सकती है, जिसकी वजह से फ्यूचर में ये लोन Non Performing Asset साबित हो जायेगा
दोस्तों NPA (Non Performing Asset) एक तरह से वो नुकसान होते हैं जिन्हें बैंक कभी रिकवर नहीं कर पाता। खैर, इस स्कैम की कहानी में अंत में वही हुआ जिस चीज़ का डर था ।
Videocon company Bankrupt हो जाती है, जिसकी वजह से वेणुगोपाल धूत ICICI Bank द्वारा दिए गए 3250 करोड़ का लोन 86% हिस्सा चुकाने में असमर्थ रहे थे, जिसके बाद 2017 में आइसीआइसीआइ बैंक ने 2800 करोड़ की रकम को NPA घोषित कर दिया।
और कई सालों तक इस स्कैम की खोजबीन जारी रही। हर जांच के साथ इसमें नई नई परतें खुलती जा रही थी। जिसके बाद साल दिसंबर 2022 में चंदा कोचर, दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत को इस स्कैम के तहत अरेस्ट कर लिया जाता है। इसके साथ ही ED द्वारा इन तीनों केAsset को जब्त कर लिया गया। लेकिन अभी भी इस मामले में फाइनल फैसले का पूरे भारत को इंतजार है।