Bisleri की जन्म कुंडली-
किसी ने सही कहा है कि जब लोग आपको कॉपी करने लगे तो समझ जाना कि आप सफल हो चूके हैं। जैसे कि सफल हुई क्योंकि आजकल मार्केट में Bisleri की बहुत सारी डुप्लीकेट पानी की बोतल है। बिकती है
जबकि सभी वो बॉटल भी आपको सेम लगेंगी, लेकिन उन सभी का नाम अलग होता है।
ऐसी कई सारी फेक बिस्लेरी की बॉटल है, मार्केट में मिलती है। इसीलिए कंपनी को अपनी टैग लाइन कुछ ऐसी रखनी पड़ी
समझदार जानते हैं कि हर पानी की बोतल बिस्लेरी नहीं,
लेकिन बिस्लेरी इंडिया की नंबर वॅन बॉटल में पानी बेचने वाली कंपनी कैसे बनी और कैसे दवा बेचने वाली कंपनी पानी को बेचने वाली कंपनी बनी? तो चलिये जानते हैं Bisleri का पूरा इतिहास।
बिसलेरी की शुरुआत होती है। इटली के Felice Bisleri से | उन्ही के नाम के ऊपर से बिसलेरी नाम रखा गया था, लेकिन तब ये पानी नहीं बेचते थे। तब ये एक फार्मासिटिकल कंपनी थी यानी की तब ये मलेरिया की दवाई बेचते थे और उनका प्लान था की वो बिस्लेरी नाम से कंपनी खोलेगे और पानी को बेचेंगे। लेकिन ये सपना पूरा होने से पहले ही उनकी मौत हो जाती है।
फिर जो उसकी सारी जिम्मेदारी थी वो आ जाती है उसके फैम्ली डॉक्टर Rassi के ऊपर और देखा जाए तो इस डॉक्टर की वजह से ही इंडिया के अंदर बिसलेरी की बॉटल आई थी, क्योंकि उसकी पहचान में Khushroo Suntook नाम के एक वकील थे और वो वकील इंडिया के थे और इन दोनों ने मिलकर बिस्लेरी को लॉन्च किया।
बिसलेरी वाटर बोतल में नम्बर वन कैसे बनी –
जब ये इंडिया में पानी को बेचने के लिए आए तो सभी लोग इनका मजाक उड़ाने लगे। क्योंकि जो चीज़ फ्री में अवेलेबल है, उसे लोग पैसा देकर क्यों खरीदेंगे? और ये पानी बेचने की बात पर कई लोग इसे पागल भी समझने लगे थे क्योंकि उस समय पानी को बेचना व्यवसाय नहीं था
जैसे आज के समय में हवा को बेचना वैसा ही उस समय था
लेकिन फिर भी इन दोनों ने हार नहीं मानी और डॉक्टर Cesari Rossi और Khushroo Suntook ने अपने काम को और आगे बढ़ाया और 1965 के अंदर उन्होंने मुंबई के ठाणे के अंदर पहली Bisleri water Plant को बनाया और शुरुआत के अंदर इस कंपनी ने पानी को प्लास्टिक की बॉटल के अंदर नहीं बल्कि कांच की बॉटल के अंदर बिज़नेस शुरू किया था। और जो कोई पानी पीता है उसके बाद वो कांच की बोतल वापस देनी पड़ती थी
और उस समय इंडिया की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। इसीलिए इस पानी की बोतल की बिक्री बहुत कम हो रही थी। फिर कंपनी ने जो बड़े बड़े लक्ज़री होटल होते हैं, रेलवे स्टेशन होते हैं वहाँ पर रखना शुरू किया। फिर थोड़ी थोड़ी बिक्री होने लग गई। बिसलेरी ही थी जिसने भारत में सबसे पहले पानी बेचना शुरू किया था|
फिर बाद में साल 1969 के अंदर पार्ले ग्रुप के जयंतीलाल चौहान ने ₹4,00,000 में इस कंपनी को खरीद लिया। बाद में साल 1970 में जयंतीलाल चौहान ने अपने दोनों बेटों के बीच बंटवाड़ा किया। उनमें से
प्रकाश चौहान के पास पार्ले का एग्रो सेक्टर आया हूँ और दूसरे बेटे रमेश चौहान के पास पार्ले एक्सपोर्ट का बिज़नेस आया था और इसके अंदर बिस्लेरी का बिज़नेस भी था।
और उस वक्त इंडिया के अंदर के सिर्फ 5 स्टोर ही थे, लेकिन साल 1985 के अंदर इसके मार्केट के अंदर बहुत बड़ा बूम आया था, क्योंकि पहले कांच की बॉटल के अंदर पानी मिल रहा था और अब वो प्लास्टिक की बॉटल के अंदर पानी मिलने लग गया था और इसके पहले साल 1976 के अंदर फ्रूट ड्रिंक मांजा को लॉन्च किया था।
और उसके 1 साल बाद साल 1977 में इंडिया से कोको कोला बाहर चली गयी थी। इसीलिए Thums UP को लॉन्च किया और इसके बाद Limca को भी लॉन्च किया था और इस तरह से ये पानी और सोडा दोनों को बेच रहे थे और इन दोनों में से सबसे ज्यादा सोडा की बिक्री हो रही थी।
लेकिन आपको पता होगा की साल 19191 में इंडिया के अंदर आर्थिक उदरीकरण की नीती आई थी और इसकी वजह से विदेशी कंपनी इंडिया के अंदर वापस आई थी।
19191 के बाद इंडिया में कोका कोला वापस आ जाती है और पार्ले एक्सपोर्ट ने कोका कोला को फ्रूट ड्रिंक वाली Thums Up, Limca ,Gold Spot, Citra and RimZim को 125 से 200 करोड़ के अंदर बेच दिया और बाद में पार्ले जी ने मांझा को भी कोका कोला को बेच दिया था और बाद में बिस्लेरी की बोतल को पूरी दुनिया में फैलाने के लिए Bisleri International को भी शुरू किया था।
फिर Parle Export ने पूरा फोकस बिस्लेरी के ऊपर दिया था की वो आगे बढ़ सके। जिसकी वजह से बिस्लेरी के कई सारे अड्वर्टाइज़्मेन्ट बहुत चली थी। बिस्लेरी की एड्स पर आज यूट्यूब के अंदर करोड़ों व्यूस हैं। आप भी देख सकते हो और आपने ये अड्ज़ कई साल पहले देखा भी होगा और बिचलेरी ने मार्केटिंग के ऊपर बहुत ज्यादा फोकस किया था
क्योंकि उसने अपनी बॉटल की कीमत फिक्स नहीं रखी थी। यानी की इतने लोकेशन के मुताबिक अपनी बॉटल की कीमत रखी थी। अगर कोई एअरपोर्ट या थिएटर या रेस्टोरेंट होटल है तो उन सभी जगह पर बॉटल की प्राइस ज्यादा होती है।
और अगर कोई लोकल शो पे छोटी सी दुकान है तो उसके अंदर प्राइस बहुत कम होती है। Bisleri की कई टैग लाइन भी है जो बहुत चर्चे में हुई थी, जैसे की एक राष्ट्र, एक जल, हर पानी की बोतल बिस्लेरी नहीं होती, समझदार, बिस्लेरी पीते हैं और इनकी वजह से सभी लोग बिस्लेरी को जानने लग गए थे।
फिर बिसलेरी ने क्या किया की जो बिसलेरी की बोतल होती है, जैसे की एक लीटर की बनाई 20 लीटर की बनाई 5 लीटर की बनाई 500 ml की बनाई जैसे भी लोगों की नीड होती है, उस तरह की बिसलेरी ने बोतलें बनाई ताकि सभी लोग उसे ले सके।
और ये सभी चीजें आसानी से हो सके इसलिए बिस्लेरी ने अपने डिस्ट्रीब्यूटर भी बहुत तेज़ बढ़ाया
क्योंकि आज बिसलेरी के 150 प्लांट है और उसके अंदर 6000 डिस्ट्रीब्यूटर है और साथ में 7500 ट्रक के डिस्ट्रीब्यूटर भी है और इसी की वजह से 2023 के अंदर 2300 करोड़ का रेवइन्यू था Bisleri का और उसके अंदर 200 करोड़ का तो प्रॉफिट था।
और इसकी सफलता को देखने के बाद को Bisleri कई सारे प्लेयर टक्कर देने के लिए आए थे। लेकिन फिर भी आज 32% का मार्केट शेयर लेके पानी की इंडस्ट्री के अंदर ये नंबर वॅन पर है। अगर ये केस स्टडी आपको पसंद आयी हो तो हमें जरूर कमेंट और फॉलो कर ले |
जय हिन्द,