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Bajaj और TVS ने 160 चाइनीज कंपनियों कैसे बंद करा दिया ?

अफ्रीका में भारतीय बाइक्स क्यों पसंद किये जाते है ?

नमस्कार दोस्तों क्या कोई सोच सकता है कि जिस कंपनी को टू वीलर्स का एक पार्ट भी बनाना नहीं आता था? वह कंपनी आज चाइनीज कंपनी को उखाड़ कर फेंक रही है।जी हाँ अपना Bajaj लेकिन बस बजाज ही नहीं एक कंपनी और है जिसने चाइनीज कंपनियों के नाक में दम करके रखा है। और सबसे मज़े की बात तो यह है कि उस कंपनी को एक लॉयर ने बनाया है। आखिर कौन सी है ये कंपनी आइये जानते है टू वीलर इंडस्ट्री अगर आप दुनिया भर में नज़र घूमाओगे तो इस इंडस्ट्री में आपको 10 में से चार इंडियन कंपनीज ही दिखाई देंगी। लेकिन उससे भी बड़ी बात यह है कि इस इंडस्ट्री की लिस्ट में सबसे टॉप पर है अपना Bajaj।
अब  जिस कंपनी का मार्केट कैप ही 1 लाख करोड़ का हो तो उसके आगे चाइनीज कंपनी को झुकना ही पड़ेंगा  और ऐसा ही हुआ। इस अकेले कंपनी ने लगभग 160 चाइनीज कंपनियों को अफ्रीका से बाहर करवा दिया। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि ये सब आखिर हुआ कैसे? अगर आप अफ्रीका को  देखोगे तो वहाँ ट्रांसपोर्टेशन के लिए शुरुआत से ही टू वीलर्स का इस्तेमाल किया जाता था। अब वहाँ के लोगों के पास केवल दो ही ऑप्शन थे। एक तो वो जैपनीज़ बाइक यूज़ करते जो की दमदार होने के साथ साथ बहुत महंगी थी और रहा दूसरा ऑप्शन चाइनीज बाइक्स का
तो वो सस्ती थी लेकिन भाई लोग आपको तो पता ही है। चाइना के माल को ,चला तो चाँद तक नहीं तो रात तक ऊपर से चाइना वालो ने अफ्रीका में कोई सर्विस सेंटर भी नहीं बनाए और ना ही असेम्ब्ली सेंटर्स। जी हाँ दोस्तों अफ्रीका मे  सिर्फ चाइना से बाइक के पार्ट्स आते थे जो अफ्रिकन्स के लोकल मैकेनिक से असेंबल करवाने पड़ते थे। इतना सब करके भी उनका स्ट्रगल खत्म नहीं होता था। अफ्रीका के खराब रास्ते और लोगों के रगेड यूज़ की वजह से बाइक्स का बार बार खराब होना चलता ही जा रहा था। अब सोचने वाली बात यह थी
के वहाँ के लोग ठहरे गरीब, जो एक तरफ जैपनीज़ महंगी बाइक को खरीदने का सोच भी नहीं सकते थे और दूसरी तरफ चाइनीज बाइक लेकर उसको बार बार बना भी नहीं सकते थे तो बस यही गैप हमारे बजाज ने पहचान लिया और अपनी Bajaj Boxer अफ्रीका में लॉन्च कर दी। ये इतनी मजबूत थी कि अफ्रीका के कठिन सड़कों में आराम से चलती थी। आफ्रिकन लोगो की जरूरत को समझते हुए इसके क्वालिटी के मामले में इतना टॉप क्लास रखा था की ये बाइक सीधा जैपनीज़ बाइक्स को टक्कर देने लगी। जहाँ अक्सर बाइक में 100 सीसी का इंजन होता है वहीं इसमें 150 सीसी का इंजन बिठाया था।
और इतना होकर भी इनकी प्राइस जापानी बाइक के मुकाबले कम थी और चायनीज बाइक्स के मुकाबले में थोड़ी मंहगी थी|  इसीलिए तो वहाँ के कॉस्ट्यूमर सोचने लगे। चाइनीज बाइक्स लेने से अच्छा है की थोड़े से पैसे डाल के बॉक्सर ही ले लेते हैं और इसी वजह से अफ्रीका का सारा टू वीलर मार्केट चाइना के हाथों से फिसलता चला गया और इसी प्रकार चाइना की 200 में  160  कंपनीस को ताला लगाने की नौबत आ गई। इसकी मजबूती इतनी थी कि आगे जाकर इस बाइक की सेकंड हैंड मार्केट में भी काफी डिमांड बढ़ने लगी।
 क्या आप जानते हो? Bajaj एक जमाने में खुद की बाइक बनाने लायक भी सक्षम नहीं थी। देखा जाए तो उससे 19वी शदी में पूरी दुनिया में बाइक्स का राजा था जापन जिसकी Us , UK  से लेके सारे देशों में भेजी जाती थी, पर आज 1 लाख करोड़ मार्केट कैप के साथ बजाज दुनिया का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरर बन गया है। आखिर कैसे बात है 1945 की तो बजाज कंपनी बाइक के पार्ट्स इम्पोर्ट करके इंडिया में बेचा करती थी।
गाँधीजी को मानने वाले जमनालाल बजाज जी ने भारत की आजादी में तो फ्रीडम फाइटर्स को साथ दिया ही पर आजादी के बाद भी अपने बिज़नेस के जरिए इंडियन इकोनॉमी को मजबूत किया। इनका ये हौसला देखकर 1959 में इंडियन गवर्नमेंट ने उन्हें मैनुफैक्चरिंग लाइसेंस दे दिया, लेकिन तब उन्हें बाइक्स और  रिक्शा की मैन्युफैक्चरिंग करना नहीं आता था। इसलिए उन्होंने इटली के पियाजियो के साथ पार्टनरशिप करके एक मॉडल बनाया, जिसका नाम था Vespa। लेकिन पार्ट्नरशिप की वजह से बजाज का ग्रोथ रुकने लगा। अब जब ये बात उन्हें समझ आयी तो बिना देर गंवाए Bajaj ने बाइक बनाना सीख लिया और तब जा के आविष्कार हुआ। बजाज पल्सर का
जिसने आते ही इंडियन मार्केट में धूम मचा दी और आज देखिये इसी कंपनी की वजह से 10 हजार से भी ज्यादा लोगों का घर चल रहा है क्योंकि उसके बाद बजाज ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और जल्दी पूरे 70 देशों में अपना परचम लहरा दिया। जिसमें से सबसे बड़ा मार्केट रहा अफ्रीका का और बजाज के आने के बाद भी मार्केट में 40 चाइनीज कम्पनीज़ बची हुई थी, जिन्हें टक्कर दी सेकंड प्लेयर TVS उसने और आज उन 40 कंपनियों का भी अफ्रीका में टिक पाना नामुमकिन हो गया है। बजाज की तरह ही टीवीएस के जन्म की कहानी काफी इंट्रेस्टिंग है  इस कंपनी को 1877 में तमिलनाडु के एक लॉयर ने बनाया था।
जी हाँ, TVS  के ओनर को अपने पिता की मर्जी के खातिर कई जगह जॉब करना पड़ा। जैसे इंडियन रेलवे हो या फिर गवर्नमेंट बैंक्स लेकिन हमेशा से उन में बिज़नेस करने की चाह थी, जिसकी वजह से उन्होंने पहले तो ट्रांसपोर्टेशन इंडस्ट्री में कदम रखते हुए मदुरई शहर में बस सर्विस शुरू की पर कुछ ही दिनों में वह इस बिज़नेस से बहार होते  हुए बाइक इंडस्ट्री में चले गए। अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो आज हमें इंडिया की सड़कों पे, TVS  बाइक्स नहीं देखने को मिलती लेकिन TVS  सिर्फ इंडिया में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में खास करके अफ्रीका की सड़कों पर अपना नाम लिख रही है और इस वजह से आज चाइना की बची हुई 40 कंपनियों के वजूद पर सवाल उठ रहा है।
अब आपके भी दिमाग में एक सवाल तो जरूर उठा होगा कि आखिरकार हमने ऐसा क्या कर दिया कि अफ्रीकन लोगों को चाइना से बेहतर क्वालिटी की बाइक्स  कई गुना सस्ते दामों में दे दी  तो इसके पीछे की वजह हैं? अपना इंडियन टैलंट? अपने इंडिया में टैलेंटेड इंजीनियर्स की बिल्कुल भी कमी नहीं है और उसी वजह से कॉम्पिटिशन भी काफी ज्यादा है और ज़ाहिर सी बात है जितना कॉम्पिटिशन ज्यादा उतनी सैलरी कम और इन्हीं कम सैलरी की वजह से। मैन्युफैक्चरिंग के लिए आने वाला खर्चा भी कम तो यही है कि हम जापान जैसी अच्छी क्वालिटी की बाइक्स चाइनीज बाइक से थोड़ी महंगी
और जापान से कई गुना सस्ते दामों में बेच पाते हैं। पर सिर्फ अफ्रीका ही नहीं जैसे मैंने पहले बताया कि पूरी दुनिया में भी हम टू वीलर मार्केट में राज़ कर रहे हैं, जिसमें बजाज तो है ही, पर 2022 में टीवीएस और हीरो मोटर्स ने भी अपना कमाल दिखाया है। हमने पूरे साल में 17.7 मिलियन टू वीलर्स बेचे हैं जहाँ हमारा सेल्स चाइना के सेल्स से 1  मिलियन बाइक से ज्यादा था और इस सक्सेस का क्रेडिट बजाज और टीवीएस के साथ ही साथ हीरो को भी जाता है।
पर आज जो टू व्हीलर इंडस्ट्री का हीरो है वो एक जमाने में साइकिल के पार्ट्स बेचने का बिज़नेस करता था।
दरअसल, ये स्टोरी है ब्रज मोहन लाल और उनके तीन भाइयों की, जो इंडिया पाकिस्तान पार्टिशन के बाद पाकिस्तान में ही बसे थे। पर बिज़नेस की चाह उन्हें कमारियाँ से अमृतसर ले आयी। आज हीरो इंडियन नहीं बल्कि एक पाकिस्तानी ब्रैंड होता पर ऐसा नहीं हुआ। अमृतसर से लुधियाना आके उन्होंने साइकिल के पार्ट बेचना शुरू किया और कुछ ही सालों में उन्होंने गवर्नमेंट से साइकिल बनाने के लाइसेंस के साथ साथ 6,लाख का फाइनैंशल सपोर्ट भी पा लिया। फिर 1986 में उनका नाम दुनिया की सबसे बड़ी साईकिल कंपनी के नाम से गिनीज़ बुक में रेकोर्ड हो गया। जिसके बाद वह बाइक बनाने के बिज़नेस में उतर गए
 लेकिन हमारा सिर्फ अफ्रीका में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में चाइना के साथ साथ जापान को भी टू वीलर मार्केट में टफ कॉम्पिटिशन दे रहे हैं। पर आने वाले दिनों में भी अगर हमें हमारी यही पकड़ रखनी है तो इंडिया में मैन्युफैक्चरिंग और इंजीनियरिंग को बढ़ावा देना पड़ेगा, क्योंकि अगर हर फील्ड के लोग आईटी सेक्टर में चले गए तो आने वाले समय में हमें स्किल्ड इंजीनियर्स की कमी महसूस हो सकती है, जिससे कि हम हमारी दुनिया में बनाई हुई जगह कमा सकते हैं, जिसे बचाने के लिए हमें मेक इन इंडिया को और ज्यादा बढ़ावा देना पड़ेगा।
 जय हिंद,

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Anoop Kumar
Anoop Kumarhttp://centric24.com
नमस्कार दोस्तो मेरा नाम अनूप कुमार है मैं Centric24.com का लेखक हूं|

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