होमBusiness Case Study First Cry कैसे बना 22 हजार करोड़ का ब्रांड-सुपम माहेश्वरी|Business case study 

 First Cry कैसे बना 22 हजार करोड़ का ब्रांड-सुपम माहेश्वरी|Business case study 

भारत देश में हर साल लगभग 2.5 करोड़ बच्चे पैदा होता है लेकिन इस देश में पुरषो और महिलाओ के हजारों ब्रैंड है।  लेकिन बच्चों के लिए ब्रैंड कितने है? यही गिने – चुने कुछ ही। इस बात पे जब एक मारवाड़ी की नजर पड़ी तो उसने कर दी 12 साल में 22,000 करोड़ की कंपनी खड़ी और बंदे का नाम सुपम माहेश्वरी कंपनी का नाम है First Cry। इसके 100 से ज्यादा शहरों में 400 से ज्यादा आउटलेट इस समय मौजूद हैं।

6000 से ज्यादा ब्रैंड के 2,लाख से ज्यादा बेबी आइटम ये बेचता है। ये माहेश्वरी बंदा इतना खास है जहाँ बड़े – बड़े स्टार्टअप को एक यूनिकॉर्न बनाने में पूरी जिंदगी निकल जाती है। इन्होंने पिछले 12 साल में तीन यूनिकॉर्न बना दिया है यूनिकॉर्न क्या होता है वो कंपनी जिसका वैल्यूवेशन 8000 करोड़ से ज्यादा हो वे कंपनी यूनिकॉर्न कहलाती है इन्होने ऐसी  तीन कंपनी 12 सालों में बना दिया बिज़नेस के इतिहास में ऐसी कई कंपनियां ऐसे कई प्रॉडक्ट है जो ओनर ने खुद के लिए बनाए थे  बाद में सब के लिए कॉमन हो गयी।

आज की कहानी भी यही से चालू होती है। Supam Maheshwari जब पिता बने तो उन्हें अपने  बच्चे के लिए बेबी प्रोडक्ट  चाहिए थे,वो मार्किट में  देखने लेकिन वो प्रोडक्ट वहा पर भी  नहीं मिले |अब वो तो बिज़नेस मैन थे, U.S. यूरोप जाते रहते थे। उन्होंने तो वहाँ से प्रॉडक्ट ला के अपना काम कर लिया, लेकिन माहेश्वरी जी ने ये सोचा की भैया ऐसा है की अगर ये प्रॉब्लम मेरे साथ आयी है तो मेरे जैसे कई पेरेंट्स के साथ भी आती होगी तो उसको सॉल्व करने के लिए कुछ चीज़ की जाये उन्होंने इस विषय पर रिसर्च की देखो नोर्मल्ली लोग ज्यादा तर दो ही प्लेट फॉर्म अमेज़ॉन और फ्लिपकार्ट से ही प्रोडक्ट को खरीदते है उन्होंने सोचा एक काम करते हैं, ऐमज़ॉनऔर फ्लिपकार्ट पे जाते है, बेबी प्रॉडक्ट को ढूढते है  वहा पर इनको प्रोडक्ट ढूढने दिक्कत हो रही थी क्युकी वहा पर बहुत सी कैटेगरी बानी होती  हैं तब भी इनको सही बेबी प्रोडक्ट नहीं मिल रहे थे दूसरे जो प्रॉडक्ट मिल रहे थे उनकी  प्राइसिंग थोड़ी ज्यादा लग रही थी। तो उन्होंने कहा, यार ऑनलाइन में ऐमजॉन फ्लिपकार्ट पे तो ऐसा कोई सलूशन नहीं है।

उसके बाद उन्होंने सोचा ही आस पास की छोटी मोटी दूकान देख ली जाये दुकान गए तो आधे से ज्यादा दुकानों में प्रॉडक्ट की अवेलेबिलिटी नहीं है। अवेलेबिलिटी है तो वहाँ क्वालिटी नहीं है। क्वालिटी है तो रेट फिक्स नहीं है। तो यह देखते हुए Supam Maheshwari ने सन 2010 में First Cry की शुरुआत की, ये हमेशा याद रखना जिसको आप प्रॉब्लम समझ रहे हो। हो सकता है वो आपका बिज़नेस का आइडिया बन जाये|

अब बात करते है स्टार्टिंग से 2010 में चालू किया। उन्होंने कहा, सारे प्रोडक्ट्स में एक साथ नहीं कूदते, सिर्फ खिलौने बेचने पर ध्यान दिया और सिर्फ मेट्रो सिटी और स्पेसली पुणे पे काम किया और धीरे धीरे अपने यार दोस्तों और आसपास के लोगों ने इस मॉडल को टेस्ट किया।और  ये ऑनलाइन ई कॉमर्स साइट चल रही है? की नहीं चल रही है तो धीरे धीरे अच्छा रिस्पॉन्स मिला उससे उनका कॉन्फिडेंस बूस्ट हुआ।तो पहले एक छोटे से स्टोर से शुरुआत की, फिर उन्होंने कहा की हम एग्रीगेटर मॉडल बन सकते हैं अपन अपनी First cry वेबसाइट ऐसे अपडेट करते है जिसपे हम तो प्रॉडक्ट बेच रहे हैं। बाकी रिटेलर्स को कहेंगे आ जाओ तुम भी अपने अपने बेचो तो ये विन सिचुएशन है जो ग्राहक आएगा मेरी वेबसाइट पे उसको ऑप्शन ज्यादा देखेंगे। ब्रैंड ज्यादा दिखेंगे तो भइया  वह साइट पे रुकेगा ज्यादा। फिर जो मेरे वेंडर्स है उनको बेचने में एक सहूलियत मिल जाएगी तो मेरा एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म वर्क करेगा और ऐसे करके इन्होंने बाकी सब को अलाउ किया और अलाउ करते करते।

आज की डेट में इनके पास 6 हजार  से ज्यादा ब्रैंड है और 2 लाख  से ज्यादा एस क्यू आइटम है जोकि ये अपनी ऑनलाइन साइट पे बेचते हैं। जो चीज खिलौने बेचने सेशुरू हुई थी  वहाँ पे सब है मतलब वहाँ पे बच्चो के कपड़े मिलेंगे, जूते मिलेंगे, दूध पीने की बोतल भी मिलेगी, डाइपर भी मिलेगा सबसे इम्पोर्टेन्ट सवाल की भैया कॉम्पिटिशन से कैसे लड़े तो उन्होंने कहा पहले पता तो लगाओ की  कॉम्पिटिशन कौन है? तो इन्होंने कहा ऐमजॉन फ्लिपकार्ट तो है ही नहीं क्योंकि वो इस पे ज्यादा डील नहीं करते। ओरगनाइसड प्लेयर कोई है नहीं क्योंकि मैं तो इकलौता प्लैटफॉर्म, असली कॉम्पिटिशन कौन हैं? अनओरगनाइसड मार्केट ये जो छोटी छोटी दुकानें इधर उधर बच्चों की खुली हुई है ना ये इनका मुख्य कॉम्पिटिशन थे और बोल यार इनसे लड़ नहीं सकते, इनसे क्यों नहीं लड़ सकते? अपने कस्टमर को समझो इंडिया टच ऐंड फील मार्केट है बात हो रही है 2010 की 2010 में आदमी कहता है ऐसे कैसे ले ले भाई? ऑनलाइन में कुछ गडबड हो गयी तो ,हम तो हाथ लगा कर लेंगे। हम तो देख के लेंगे। हम तो ट्राई करके लेंगे तो ये वाली सुविधायें दे नहीं पा रहे थे

इसलिए ऑनलाइन  लोग आ नहीं रहे, क्या करे तो इन्होंने किया बिज़नेस मॉडल में एक इनोवेशन और वो इनोवेशन। ऐसा किया की आज भी बड़े बड़े ब्रैंड उसको कॉपी करते हैं। ऑनलाइन टू ऑफलाइन मतलब इन्होंने ऑफलाइन स्टोर भी खुद का खोल दिया। इन्होंने कहा देखो ऑनलाइन मेरे पास ट्रैफिक आता है। लोग वेबसाइट पे देखते है मैं वेबसाइट पे उनको कहता हूँ सुनो तुम को अगर खरीदने से पहले ट्राई करना है ना? मेरा दूकान भी है वहाँ जाके देख भी लो और उस दुकान को उसी तरह से डिजाइन किया जिस  तरह से वेब साइट उन्हेो ने देखी। की मेरी वेबसाइट पे कौनसा प्रॉडक्ट ज्यादा बिकता है कि इसमें लोगों का ज्यादा इंटरेस्ट है। उसी तरह से पूरी दुकान को डिजाइन किया। ज्यादा बिकने वाले प्रॉडक्ट पहले ज्यादा मार्जिन वाले पहले और उस तरह से पूरे स्टोर को डिजाइन किया। अब कस्टूमर को तो मज़ा आ गया। कस्टमर ऑनलाइन भी ले सकता है, दोनों चीजें कर सकता है और इस मॉडल को करते – करते आज की डेट में इनके 400 से ज्यादा स्टोर्स है। 400 इनके खुद के स्टोर नहीं है।

शुरुआत में खुद के स्टोर भी खोले और किसी भी शहर में टेस्टिंग के लिए एक स्टोर खुद तो खोलना पड़ता है ताकि एक्सपिरियंस ले और बाद में फ्रैन्चाइज़ बांटते है तो इन्होंने खुद के स्टोर भी खोले पर ज्यादा एक्स्पैन्शन किया। फ्रैन्चाइज़ के माध्यम से ,यहाँ पे इनकी एक प्रॉब्लम थी ऑनलाइन बिज़नेस में लॉजिस्टिक लॉजिस्टिक का मतलब कीभइया ये जब माल आप ऑनलाइन से खरीदोगे तो देने कोई ना कोई लॉजिस्टिक कंपनी आएँगी। अब जब लॉजिस्टिक कंपनी दूसरी थर्ड पार्टी है तो इसका इसपे कोई कंट्रोल नहीं है। इन्होंने कहा 2 दिन में पहुंचाने वाला माल  4 दिन में पहुंचा रहे हैं।  माल सेफ पहुंच भी नहीं पहुंच पा रहा था तो उन्होंने कहा कि कस्टमर एक्सपीरियंस भी खराब हो रहा है, क्या करें? तो उन्होंने कहा, एक काम करो, बाहर से नहीं। यह काम हम खुद ही कर लेते हैं। तो उन्होंने खुद की एक कंपनी डाली लॉजिस्टिक में  Express Bees नाम से आप लोग शायद जानते भी होंगे, तो ये कंपनी इतनी सक्सेसफुल हुयी की First Cry के प्रॉडक्ट को डेलिवर करने लगी। इसके साथ – साथ बाकी कंपनियों की भी प्रॉडक्ट डेलिवर करने लगी तो उस चक्कर में ये कंपनी भी यूनिकॉर्न बन गई

First Cry ने ऑल ओवर इंडिया 10,000 से ज्यादा हॉस्पिटल से टाइअप किया। ये कहते है, जैसे ही किसी को  नया बेबी डिलिवर होता है, उसके पैरंट्स को हॉस्पिटल की तरफ से गिफ्ट देते है। क्योकि हॉस्पिटल से टाई अप है तो फर्स्ट ऐड बॉक्स दिया जाता है, तो फर्स्ट एड बॉक्स में सारे आइटम हैं की बेबी के जो यूज़ आयेंगे, पैरेन्ट्स खुश हो जाते है  और इनकी ब्रांडिंग हो जाती है। आप देख लो की 10,000 हॉस्पिटल में कितने बच्चे डिलिवर होते है, कितने लोगों तक मैसेज पहुँच रहा है। उसमें से 10% लोग भी इनके पास आते हैं तो हर साल इनके पास तो ग्राहक बढ़ते ही बढ़ते है। भाई अब बात करते हैं इन्होंने अपने स्टार्टअप को प्रॉफिटेबल कैसे बनाया? इंडिया में 114 यूनिकॉर्न है, उसमें से 17 है। जो प्रॉफिट टर्न करता है उन 17 में से एक है, Firstcry भी  है पिछले साल 2022 में इनका 217 करोड़ का प्रॉफिट आया था। 1700 करोड़ का टर्न ओवर किया था। इस साल इन्होंने अपना रेवेन्यू तो डेढ़ गुणा कर लिया है जो इस लगभग 2400 करोड़ आ गए लेकिन इस कारण क्योंकि एक्स्पैन्शन तेजी से हुआ, वापस लॉस में आ गए। इस समय लगभग वो 80 करोड़ के लॉस में है, पर जिस तरह से। इनका लास्ट ईयर की परफॉर्मेंस थी और जिस तरह की इनके विज़न है और ये जो गिफ्ट बॉक्स वाली स्ट्रैटिजी है ये बंदा जल्द ही लॉस से बहार आ जायेगा।

धन्यवाद 

SourceFirstCry

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Anoop Kumar
Anoop Kumarhttp://centric24.com
नमस्कार दोस्तो मेरा नाम अनूप कुमार है मैं Centric24.com का लेखक हूं|

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