हमारे देश में एक ऐसी करेन्सी है जिसे ना ही सरकार छापती है और ना ही सरकार इस्तेमाल की सलाह देती है। पर ये करेन्सी भारत के हर शहर में चलती है। शुरुआत में सामान की खरीद बेच के लिए सोने या चांदी के सिक्कों का इस्तेमाल होता था। फिर ये कागज के नोटों में कॉनवर्ट हो गए और किसी देश ने पाउंड लिया, किसी ने डॉलर लिया और किसी ने रुपया लिया।
अब अलग अलग देशो में अलग अलग करेन्सी हो सकती है पर हर देश की करेन्सी उनकी सरकार रेगुलेट करती है। पर हमारे यहाँ एक करेन्सी है जिसका नाम है टॉफी। अब छुट्टे के झंझट से बचने के लिए कई बार दुकानदार टॉफी दे देते है। अब ऐसे में कुछ लोगो को टॉफी पसंद होती है वो ले लेते हैं, नहीं होती तो वो बहस करते हैं।
इसीलिए टॉफी कंपनी से जब रिसर्च की तो उन्हें पता चला की भारत में जो फ्लेवर सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है वो होता है आम का और आम में भी कच्चे आम को लोग ज्यादा पसंद करते हैं और इसे काला नमक लगा के खाने का मज़ा अलग ही है।
इसी लॉजिक पर कच्चे आम की फ्लेवर की टॉफ़ी बनाई गई और और टॉफी के अंदर भर दिया गया नमक इस टॉफी को लोग काफी पसंद करते हैं और चेंज ना होने पर इसे ले भी लेते हैं। वही पल्स नामक टॉफी ने अपने लॉन्च के 8 महीने के अंदर इस टॉफी ने ₹100 करोड़ का बिज़नेस किया।
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