बजट से पहले हर जगह बातें थी कि सरकार शायद शार्ट टर्म ट्रेनिंग को रोकना चाहती है। ऑप्शन्ज़ में जिस हिसाब से ट्रेनिंग हो रही है, उसे भी रोकना चाहती है तो इसलिए शार्ट टर्म या फिर ऑप्शन् पर काफी बड़े कुछ चेंजस आ सकते हैं। लेकिन यहाँ पर कुछ उल्टा ही हो गया जो लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स है उनको यहाँ पर मामला भारी पड़ गया।
जहाँ पर 10% का LTCG था वो साढ़े 12% हो जाएगा। मेरा ये कहना है कि किसी भी कंट्री की इकोनॉमी को चलने के लिए शेयर मार्केट का बहुत बड़ा रोल है और पर्टिकुलरली लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स का। अब यहाँ पर हम देख रहे हैं कि पीछे कुछ टाइम में बहुत सारा इन्फ्लो म्यूचुअल फंड के जरिए आ रहा है
जहाँ पर कम्पनिया ऐड चला के लोग को जागरूक कर रही है, म्यूच्यूअल फण्ड सही है। अब लोगों ने सही है वो इन्वेस्ट कर रहे हैं। लेकिन अब आगे इन बड़े हुए टैक्स की वजह से लोग यहाँ पर कॅफ्यूज हो रहे हैं कि यहाँ पर इन्वेस्ट करना चाहिए या फिर नहीं। तो इंडिया में अगर देखें तो Equity में इन्वेस्ट करने वालों की जो संख्या है वो बाकी देशो से बहुत कम है।
अब ये गैप भरने करने की बजाय अगर इस तरह के टैक्सेज लगाए जाएंगे तो गैप और बढ़ता चला जाएगा और लॉन्ग टर्म में इसका जो नुकसान है वो टैक्स के रूप में काफी बड़ा होगा। जितना की गवर्नमेंट 2.5% ऊपर का टैक्स लगाकर यहाँ पर ले रही है।