यह कहानी अशफाक़ चूनावाला की ।
एक लड़का जिसने बचपन से ही चुनौतियों का बोझ अपने सिर पर ले लिया।
जिसने खेलने-कूदने की उम्र में अपनी आँखों में इतने बड़े सपने बसा लिए की जिन्हें सोचना भी किसी के लिए आसान नहीं होगा।
जो एक परचून की दुकान में महज पंद्रह सौ रुपए की तनख्वा में जैसे तैसे कर के अपना और अपने परिवार का पेट भरता था, जिसने जब जब मंजिल की तरफ कदम बढ़ाए तब-तब मुश्किलों ने उसके कदमों को जंजीरों से जकड़ लिया।
मुंबई के शिवाला इलाके के रहने वाले अशफाक़ चूनावाला का बचपन बेहद, गरीबी में गुजरा। आर्थिक तंगी परिवार पर इस कदर थी कि उन्हें दसवीं के बाद ही अपनी पढ़ाई भी छोड़नी पड़ गयी। अशफाक़ चूनावालाको अपने परिवार की पूरी जुम्मेदारी भी संभालनी थी
इसलिए साल 2004 में महज 1500 रूपए की तनख्वा में एक परचून की दुकान में काम करने लग गए।
हालांकि मुश्किलों और चुनौतियों के बीच अपने परिवार को पाल रहे अशफाक की आँखों में हमेशा आगे बढ़ने और कुछ बड़ा करने का सपना भी पलता रहा।
अशफाक के ऊपर आगे बढ़ने का जुनून इतना हावी था कि उन्होंने देखते ही देखते 10 सालों के भीतर कई कंपनियों में नौकरी बदल डाली और एक स्किन-केयर स्टोर में मैनेजर बन गए।
दिन बीत रहे थे और कहीं ऐसी कोई जरिया नजर नहीं आ रहा था। इसी बीच साल 2013 में एक दिन उनकी नजर उन दिनों लांच हुए राइड-हिलिंग एप के विज्ञापन पर पड़ी।
कहते हैं की हर किसी की जिंदगी में कोई न कोई टर्निंग पॉइंट जरूर आता है। और अगर वक्त पर उसे पहचान लिया तो फिर हालात बदलने में देर नहीं लगती।
अशफाक के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ,उन्होंने कैब सर्विस देने वाली कंपनी में पार्ट टाइम ड्राइवर के तौर पर नौकरी शुरू कर दी।
अब अशफाक के सामने दोहरी चुनौती थी वे सुबह जल्दी उठ कर 7 बजे ही कैब लेकर निकल जाते और सुबह 10 बजे तक वहाँ काम करते,इसके बाद स्किन केयर स्टोर में शाम 6 बजे तक अपनी नौकरी करते।
यहाँ ऐसे काम खत्म होते ही वे फिर से कैब चलाने लगते ,ये वो दौर था जब अशफाक के हाथ में ठीक-ठाक रकम आने लगी।
स्किन केयर स्टोर से उन्हें हर महीने 35 हजार रूपए मिलते और पंद्रह हजार रूपए की कमाई कैब कंपनी हो जाती।
अब अशफाक ने अपने हाथ खोलने शुरू किए और खुद की गाड़ी लोन पर ले ली।
अशफाक़ चूनावाला के लिए आगे बढ़ने का रास्ता तो खुल चुका था लेकिन अभी तो केवल शुरुआत थी|,यहाँ उनकी बहन ने एक और गाड़ी फाइनेंस कराने में मदद की और इस तरह उनके पास 2 गाड़ियाँ हो गयी।
अशफाक़ चूनावाला ने ड्राइवर रखे और इस तरह कमाई के नए जरिए खुलने लगे कुछ ही दिन बीते, होंगे कि महसूस होने लगा की गाड़ियों की संख्या को और बढ़ाने की जरूरत है।
तब उन्होंने बैंक से 10 लाख रूपए का लोन लिया और 3 नई गाड़ियां खरीद ली,अब अश्वाक के पास 5 गाड़ियां हो गयी। जिन्हें कैब के तौर पर चलाने के लिए उन्होंने ड्राइवर्स दे रखा था।
अशफाक़ चूनावाला के लिए मौके थे, तो सामने चुनौतियाँ भी लोन की किस्ते बढ़ती जा रही थी, साथ ही गाड़ियों को मैनेज करने की चुनौती भी, लेकिन फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी।
सारी EMI देने के बाद वो अपने पास खर्च के लिए एक छोटी सी रकम रखते और बाकी रुपए फिर से इन्वेस्ट कर देते।
इन चुनौतियों और मुश्किलों के बीच देखते ही देखते उन्होंने 400 गाड़ियों का काफिला खड़ा कर दिया, उनके जरिए सैकड़ों लोगों को ड्राइवर के तौर पर रोजगार भी मिलने लगा।
हालांकि इस मोड़ पर एक बार फिर उनके सामने मुश्किलों का पहाड़ आकर खड़ा हो गया।
दरअसल, देश में 2 साल कोविड महामारी के चलते लॉकडाउन लग गया और सारे काम ठप पड़ गए, जो गाड़ियां कल तक सड़कों पर पूरी रफ्तार से दौड़ रही थी,अब लावारिश की तरह खड़ी थी।
ऐसे में कुछ कर्मचारियों ने भी उनका साथ छोड़ा, माहौल ऐसा हो गया था कि हर तरफ केवल और केवल निराशा ही हो।
लेकिन अशफाक़ चूनावाला फिर से खड़े हुए, लॉकडाउन खत्म होते ही उन्होंने अपने काम को तेजी दी और एक बार फिर उनकी गाड़ियां दौड़ने लगी।
अशफाक़ चूनावाला बताते है की उनके कदम भी अभी भी नहीं रुकने वाले और जल्द ही उनके काफिले में गाड़ियों की संख्या बढ़ कर 500 हो जाएगी।आज उनकी सालाना इनकम 36 करोड़ है|
आप समझ ही सकते हैं कि 1500 रूपए की नौकरी से लेकर 36 करोड़ कमाने के सफ़र में उनकी हिम्मत और हौसले ने उनका साथ नहीं छोड़ा और इसी के चलते वो नए मुकाम हासिल कर रहे हैं।
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