भारत में घोटाले ऐसे हैं जैसे कोई आम चोरी। अगर देश के हर छोटे बड़े स्कैम की रिपोर्ट की जाए तो आप रोजाना 1 स्कैम की खबर पढ़ सकते है।
अब आप में से कुछ लोग शायद ये भी बोल सकते है की घोटाला छोटा या बड़ा नहीं होता बस घोटाला होता है। पर मेरे दोस्त घोटाला छोटा बड़ा होता है। और हमारे देश के लोगों ने खूब दिखाया
जैसे हर्षद महत्ता 10 हज़ार करोड़ का घोटाला किया था। नीरव ने 11 हजार 400 करोड़ का घोटाला किया था और 1 घोटाला तो लगभग 2 अरब का हुआ था।
यही नहीं आज हम आपको भारत के 7 सबसे बड़े घोटालों के बारे में बताने वाले है। जिसमे वक़्फ़ बोर्ड जैसी मुस्लिम संस्था का भी घोटाला है तो लास्ट तक बने रहना चलिए। तो शुरू करते हैं-
घोटाल नंबर 7 (स्टांप घोटाला)-
इस लिस्ट में सबसे पहले यानि सातवें नंबर पर है स्टांप घोटाला। यह एक समय देश का सबसे बहुचर्चित स्कैम था। इस घोटाले का मास्टर माइंड था। अब्दुल करीम तेलगी, तेलगी ने नकली स्टैम्प पेपर छपवाकर साढ़े 300 लोगों के नेटवर्क के जरिये 16 राज्यों में फर्जी स्टांप पेपर बेचने का धंधा किया।
साल 1990 से 2001 तक तेलगी ने अलग अलग राज्यों में करीब 20 हजार करोड़ रूपए के फर्जी स्टैंप पेपर बेच डाले। साल 2001 में उसकी गिरफ्तारी के बाद इस पूरे रैकेट का पर्दा फाश हुआ।साल 2006 में कोर्ट ने तेलगी को 30 साल की सजा और 202 करोड़ रूपए का जुर्माना लगाया।
हालांकि 2017 में तेलगी की मौत हो गई और 2019 में नासिक की कोर्ट ने सबूतों के अभाव में तेलगी समेत 8 आरोपियों को बरी कर दिया।
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घोटाला नंबर 6 { NSE(National stock Exchange) को-लोकेशन स्कैम}-
यह एक ऐसी जगह है जहाँ आप शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कर सकते हैं। घोटाले बाजों ने इसे भी नहीं छोड़ा। शेयर मार्केट में सारा खेल शेयर के प्राइस का होता है, जो कब ऊपर जाएगा और कब नीचे आएगा यह कोई नहीं जानता।
लेकिन जरा सोचिए, अगर आपको पहले से ही पता चल जाए की किस शेयर का रेट बढ़ने वाला है और किसका गिरने वाला है तो क्या होगा। जाहिर सी बात है आपको कुछ ही दिनों में करोड़पति बनने से कोई नहीं रोक सकता। बिल्कुल ऐसा ही हुआ।
इस स्कैम में शेयर मार्केट के कुछ खास ब्रोकर्स ने NSE के कुछ अधिकारियों की मिली भगत से एक्सचेंज के सर्वर में सेंध लगाकर। स्टॉक मार्केट खुलने से पहले ही किसी भी शेयर के रेट पता कर लेते थे, जिस कारण पूरे मार्केट में उनका सिक्का चलने लगा। साल 2010 ऐसी 2014 तक चले। इस स्कैम में ब्रोकर्स ने करीब 50 हजार करोड़ रूपए की अवैध कमाई की।
इस पूरे खेल में सिर्फ NSE के अधिकारी ही नहीं बल्कि कुछ नेता भी शामिल थे। साल 2014 में केंद्र में बीजेपी सरकार के आने बाद जनवरी 2015 में इस पूरे षड्यंत्र पर्दा पास हुआ और इस घोटाले की आंच UPA ( कांग्रेस ) सरकार में वित्त मंत्री रहे पी चिदम्बरम तक भी पहुँची और इसमें कुछ अधिकारियो को सस्पेंड कर दिया गया।
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हालांकि इस घोटाले की अभी भी SEBI, सीबीआई और इनकम टैक्स द्वारा जाँच चल रही है।
घोटाला नंबर 5 (ओडिशा इंडस्ट्रियल लैंड मॉर्गेज स्कैम)-
साल 2014 में ओडिशा में इंडस्ट्रियल लैंड मॉर्गेज स्कैम ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया था। हर राज्य सरकार अपने स्टेट में रोजगार पैदा करने के लिए कंपनियों को इनवाइट करती है और उन्हें कौड़ियों के भाव में जमीन आवंटित करती है।
करीब 52 हजार 423 करोड़ रूपए के घोटाले में ओडिशा की इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन ने कंपनियों को बैंक से कर्ज लेने के लिए ऐसी ही जमीन का NOC यानी नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट दे दिया।
ओडिशा सरकार द्वारा मिली जमीन की NOC मिलते ही कंपनियों ने इस जमीन को अपना बताते हुए इसका प्रयोग बैंकों से कर्ज लेने के तौर पर किया। साल 2014 में आयी कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (CAG )की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ की इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन ने 106 कंपनियों को 46 हजार 732 एकड़ की जमीन का पजेशन दे दिया।
जबकि इंडस्ट्रियल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन पास इस तरह की कोई पॉवर ही नहीं थी। फिलहाल इस मामले में अभी भी जाँच चल रही है।
घोटाला नंबर 4 (ओडिशा लीगल माइनिंग स्कैम)-
यह बड़ा स्कैम भी भारत के गरीब राज्यों में से 1 ओडिशा में ही हुआ है। साल 2010 में हुए इस घोटाले में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। करीब 1 दशक तक ओडिशा में अवैध माइनिंग का धंधा जोरों पर था।
कई बड़ी कंपनियों ने नेताओं और अधिकारियों की मिली भगत से कई माइनिंग कंपनियों ने 2000 से 2010 में ओडिशा में 22.80 टन की लौह और मैगनीज अयस्क की माइनिंग की और उसका उपयोग अपने फायदे के लिए किया।
जिस कारण ओडिशा सरकार को करीब 59,203 करोड़ रूपए का नुकसान हुआ। इस घोटाले की जाँच के लिए कमीशन भी बैठाई गई, लेकिन जाँच रिपोर्ट आने के बाद भी इस मामले में अभी तक ज्यादा कारवाही नहीं हुई है।
घोटाला नंबर 3 (2G स्पेक्ट्रम स्कैम)-
इस घोटाले से कांग्रेस सरकार को भी जाना जाता है साल 2010 में सामने आई 2G स्पेक्ट्रम घोटाला उस वक्त देश का सबसे बड़ा घोटाला था। CAG की रिपोर्ट के अनुसार साल 2008 में 2G स्पेकट्रम के आवंटन में बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती गई थी।
CAG ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में बताया था की स्पेक्टर के आवंटन से मिले रुपए और नीलामी के लिए प्रस्तावित राशि के बीच का अंतर 1 लाख 76 हज़ार करोड़ रूपए यानी 1.76 ट्रिलियन था।
इस पूरे घोटाले में तत्कालीन UPA (कांग्रेस ) सरकार में शामिल पूर्व केंद्रीय ए राजा, कनिमोझी और वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर आरोप लगे थे। जिससे ए राजा और कनिमोझी को जेल भी जाना पड़ा था।
इन दोनों पर आरोप था की उन्होंने पहले आओ पहले पाओ के आधार पर अपनी पसंदीदा कंपनियों को नए रेट के बजाय साल 2001 में तय किए गए रेट के आधार पर इस्पेक्टर दिए थे।
जिससे सरकारी खजाने को 1 लाख 76 हजार करोड़ रूपए का नुकसान उठाना पड़ा था।
घोटाला नंबर 2 (कोल आवंटन घोटाला)-
कोयला घोटाला, कोलगेट घोटाला एक पॉलिटिकल स्कैंडल है जो 2012 में सामने आया था, जब UPA सरकार सत्ता में थी। वैसे भी कांग्रेस सरकार को घोटालो के लिए जाना भी जाता है इस घोटाले को CAG द्वारा नोटिस में लाया गया था, जब उन्होंने सरकार पर 2004 और 2009 के बीच अवैध रूप से 194 कोयला ब्लॉक आवंटित करने का आरोप लगाया था।
ये उन घोटालों में से एक था जिसने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। क्यूंकि इसमें कई बीरोक्रैडसऔर नेता शामिल थे।
हालांकि CAG ने शुरू में 10 लाख करोड़ रूपए से अधिक के नुकसान का अनुमान लगाया था, लेकिन अंतिम रिपोर्ट में घोटाले की राशि 1 लाख 86 हजार करोड़ बताई गयी थी।
घोटाल नंबर 1 (वक्त बोर्ड जमीन घोटाला)-
सभी स्कैम्स को पछाड़ते हुए कर्नाटक का वक्त बोर्ड घोटाला देश का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला बन चुका है।
साल 2012 में कर्नाटक अल्पसंख्यक आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष अनवर घोटाले का खुलासा करते हुए बताया की सन 2000 से 2011 के बीच में कई बड़े राजनेताओं के साथ ही कई वक्त बोर्ड के अधिकारी, दलाल तथा भू माफिया ने मिलकर वक्त बोर्ड की 22 हजार संपत्तियों पर कब्जा कर के उसे निजी लोगों और संस्थानों को बेच दिया था।
जिसमे वक्त बोर्ड की सताईस हजार एकड़ की जमीन भी शामिल थी। इससे कर्नाटक सरकार करीब 2 लाख करोड़ रूपए या टू ट्रिलियन रूपए का नुकसान उठाना पड़ा था।हालांकि इस मामले में अभी भी जांच जारी है।
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वक़्फ़ बोर्ड (मुस्लिम संगठन)-
वक़्फ़ बोर्ड एक मुस्लिम बोर्ड है सेक्शन 85 के तहत इन्होने अगर आप की जमीन को आपना मान लिया है तो आप सिविल कोर्ट नहीं जा सकते और आपको बिना नोटिस दिए आपकी जमीन इनको ट्रांसफर हो जाएगी अगर आपको केस लड़ना है तो आप को इन्ही के ट्रिब्यूनल कोर्ट में लड़ना पड़ेगा ऊपर से डिसिशन पैनल वाले बी इन्ही के समुदाय से होते है|1955 में कांग्रेस ने वक़्फ़ बोर्ड को इतनी तागत दे दी की अगर उसने कह दिया की यह जमीन उसकी है तो वह उसी की है आप उच्च न्यायलय भी नहीं जा सकते मतलब हमारी न्यायपालिका से बड़ा वक़्फ़ बोर्ड हो गया है
देश भर चल रहे 5100 केसो में पाया गया की वक़्फ़ बोर्ड हिन्दुओ की जमीनों को जबरजस्ती अपना बता रहा जबकि वो जमीने वक़्फ़ बोर्ड की है ही नहीं | सरकार को इस पर बैन लगाना चाहिए क्युकी हमारे संविधान से बड़ा कुछ नहीं हो सकता|
आपको क्या लगता है, अगर ये घोटाले नहीं होते तो देश आज कहाँ होता?