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रॉयल इंफील्ड को इंडिया के सिद्धार्थ लाल ने कैसे बचाया? Royal Enfield कैसे बनी भारत की भरोसेमंद बाइक

रॉयल इंफील्ड एक ऐसी बाइक जिसकी सिर्फ आवाज सुनते ही पता चल जाता है ये कौन सी बाइक है? आज रॉयल एनफील्ड का बुलेट लेने का हर एक का सपना होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि ये बुलेट बनाने वाली कंपनी एक टाइम पे बंद होने वाली थी लेकिन उसे एक इंडियन ने बचाया था। ये जो  रॉयल एनफील्ड पहले सुई बनाती थी और ये सुई बनाने वाली कंपनी आज इंडिया की नंबर वन बाइक बनाने वाली कंपनी कैसे बन गयी? तो चलो जानते हैं

बात है साल  1851 की जब जार्जडाउन सेट  ने इंग्लैंड के अंदर सिलाई मशीन की सुई बनाने का काम शुरू किया था और फिर साल 1882 में उसके बेटे ने उसके बिज़नेस को आगे बढ़ाया और साइकल के कुछ पार्ट बनाने का काम भी शुरू कर दिया और उसके बेटे ने कुछ साल बाद खुद की साईकिल बनाना भी शुरू कर दिया।

लेकिन इससे इन्हें बहुत नुकसान होने लग गया था और 1851 के अंदर  रोबर्ट जॉब हॉकर स्मिथ और रोबर्ट ईडी ने मिलकर इस कंपनी को खरीद लिया और साल 1892 के अंदर इस कंपनी का नाम बदलकर Eadie मैन्युफैक्चरिंग लिमिटेड रख दिया।

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और फिर उसके 1 साल बाद ब्रिटिश आर्मी के लिए उसे कुछ साइकल बनाने का ऑर्डर मिला और फिर उसने कंपनी का नाम बदलकर Enfield Manufacturing  नाम रख दिया और कुछ टाइम के बाद उसे रॉयल इंफील्ड नाम यूज़ करने की भी अनुमति मिल गई थी और साल 1898 में रॉयल एनफील्ड ने पहली बार मोटर से चलने वाली Quadi साइकल बनाई थी और फिर कंपनी ने अपना नाम बदलकर The Enfield Cycle Ltd.नाम रख दिया और 1901 में कंपनी ने अपनी पहली मोटरसाइकिल को लंदन में स्टेनली साइकल शो में लॉन्च किया।

और सभी लोग इस मोटर साइकल को देखते ही रह गए और फिर उसके बाद साल 1914 में जब फर्स्ट वर्ल्ड वॉर हुआ था, उसके दौरान बेल्जियम, ब्रिटेन, फ्रान्स, अमेरिका और रूस की सेनाओं के लिए इसने मोटर साइकल का प्रोडक्शन किया था और फिर उसके बाद 1924 के अंदर अपनी पहली स्पोर्ट बाइक 351 को लॉन्च किया और इस Sport Bike के गियर को पैर से बदलना पड़ता था और उस टाइम के अंदर 1 एकड़ में फैली हुई Royal Enfield कंपनी के अंदर आग लग गई थी। और फिर आग लगने के बाद

साल 1932 में बुलेट का जन्म और इस बुलेट को पहली बार लंदन के ओलंपिक मोटर साइकल शो में प्रदर्शित किया था। फिर उसके बाद साल 1933 में Bob Walker Smith का निधन हो जाता है और फिर उसके बेटे Major Frank Smith को एमडी बनाया जाता है। फिर आपको पता होगा कि 1939 में सेकंड वर्ल्डवॉर होता है तब बहुत कंपनियों को मोटर साईकिल की जरूरत होती है और तब इसने कई देशों के लिए मोटर साईकिल बनाई थी

और इनमें से भी सबसे ज्यादा 125cc एयरबोट मोटर साइकल को बनाई थी। और फिर सेकंड वर्ल्ड वॉर के बाद साल 1949 में कंपनी ने 385cc और 500 cc के मॉडल को UK में लॉन्च किया और इन दोनों बुलेट की खास बात ये थी इन दोनों बुलेट में इंजन को छोड़ कर लगभग सब कुछ सेम था और फिर एक इंडियन बिज़नेस मैन के.आर. सुदर्शन अय्यर को एक बुलेट बहुत अच्छा लगा और उसने सोचा कि इसे ब्रिटेन से इंडिया लाना है

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और बुलेट को इंडिया में लाने के लिए इसने मद्रास मोटर कंपनी की शुरुआत की और फिर 1952 में सरकार ने इंडियन आर्मी के लिए 800 बुलेट का ऑर्डर दिया था और वो उस जमाने के लिए बहुत बड़ा ऑर्डर था। पूरे 800 बुलेट का ऑर्डर पूरा करने के लिए रॉयल एनफील्ड को इंडिया में असेंबली यूनिट बनाना पड़ा और साल 1955 के अंदर इंडिया में बुलेट की मांग देखते हुए मद्रास मोटर के साथ पार्टनरशिप करके चेन्नई के तिरुवनंतपुरम में रॉयल एनफील्ड की फैक्टरी बनाई और इस फैक्टरी के अंदर 1 साल के अंदर 163 बाइक बनती थी। लेकिन 1967 में कंपनी के पास सिर्फ दो मॉडल बचे थे और ये बहुत कम लोग इस मॉडल को ले रहे थे।

तो उस टाइम के अंदर राजदूत ज्यादा बिकती थी। और सभी लोग इसको ही ले रहे थे। फिर साल 1993 में कंपनी ने पहली डीज़ल इंजन वाली बाइक को लॉन्च किया, लेकिन साल 1994 कंपनी को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा और UK में जो कारखाने थे जो सभी बंद करने पड़े।

लेकिन इंडिया में बुलेट बनाना जारी रखा। लेकिन ये भी ज्यादा दिन तक नहीं चला और कंपनी को बहुत नुकसान होने लग गया था और मार्केट में कई सारी गाड़ियां आ गई थी, जिसकी वजह से बुलेट को बहुत कम लोग ले रहे थे और जब अंत में बहुत लॉस होने लग गया तब साल 1994 में

इंडिया में ट्रैक्टर बनाने वाली कंपनी Eicher Group को कंपनी को बेच दिया और इस उम्र ग्रुप ने इस कंपनी का नाम Royal Enfield Moter Ltd. रख दिया। Eicher ग्रुप को लगा की हम इंडिया के अंदर इस गाड़ी की मार्केटिंग करेंगे तो इंडिया के मार्केट में ये गाड़ी चल सकती है, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

साल 2000 के अंदर Eicher Group को इस बुलेट की वजह से 20 करोड़ का घाटा हुआ था और सभी मेंबर ने सोचा कि इस बुलेट के प्लांट को बंद कर देते हैं और सभी लोग मिलकर इस रॉयल इंफील्ड को बंद करने वाले थे। तब भी Eicher Group के मालिक विक्रम लाल के बेटे सिद्धार्थ लाल की एंट्री होती है।

सिद्धार्थ लाल खुद एक राइडर थे और उसे बुलेट के बारे में पता था और उसने सभी मेंबर्स से 2 साल का वक्त मांगा था और वो Eicher Group के सीईओ भी बन गए थे। ग्रुप के अंदर 15 बिज़नेस चलते थे। उसके अंदर ट्रैक्टर बनाना ट्रक, फुटवियर, गारमेंट्स और मोटर साइकल के बिज़नेस थे, लेकिन सिद्धार्थ ने 15 में से 13 बिज़नेस को बंद कर दिया और ट्रक और मोटरसाइकिल बनाना शुरू रखा। सिद्धार्थ लाल का मानना था कि बहुत सारे बिज़नेस करने से अच्छा है कुछ बिज़नेस में मार्केट लीडर बनना।

सिद्धार्थ लाल खुद एक राइडर थे और उसने रॉयल इंफील्ड को हजारों किलोमीटर तक चलाया और सारे स्ट्रेंथ और वीकनेस को पहचाना और उसने सोचा की आज की जेनरेशन को इस बुलेट के अंदर क्या चाहिए? वैसी फैसिलिटीज बुलेट के अंदर लाए। उसने बुलेट के डिजाइन को अच्छा किया और पावरफुल इंजिन डाला। और लुक भी बहुत बढ़िया कर दिया था और फिर सिद्धार्थ लाल ने रॉयल इंफील्ड के कई सारे मॉडल को लॉन्च किया है। जैसा कि एक टाइम पे रॉयल इंफील्ड की सेल जो गिर गयी थी वो दोबारा उठने लग गयी थी।

रॉयल इंफील्ड ने 2022 में 8,34,000 मोटर साईकिल को सेल किया था आज रॉयल एनफील्ड कहा पर खड़ा है आपको तो पता ही है|

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Anoop Kumar
Anoop Kumarhttp://centric24.com
नमस्कार दोस्तो मेरा नाम अनूप कुमार है मैं Centric24.com का लेखक हूं|

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