हिंडनबर्ग फिर से वापिस आ गया उसका मन नहीं लग रहा। हर थोड़े समय में भारत के किसी ना किसी कंपनी, किसी ना किसी व्यक्ति पे आरोप लगाना है। 24 जनवरी को रिपोर्ट आई थी| अडानी ग्रुप पर बहुत सारे आरोप लगाए। फिर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी जांच के आदेश दे दिए। फिर भाई साहब SEBI ने अपनी जांच की क्लीन चिट दे दी
लेकिन भाई साहब हिंडनबर्ग ने दोबारा आरोप लगाए कोटक महिंद्रा बैंक उसपे बहुत सारी चीजें हुई, वो मैटर शांत हुआ, अभी लेटेस्ट आरोप लगा दिए SEBI की चीफ पर तो सेबी ने नोटिस भेज दिया। भाई साहब क्या लगा रखा तुम बार बार रिपोर्ट निकाल के हमारे बाज़ार ऊपर नीचे करते रहते हो हिंडनबर्ग में उसका तो रिप्लाय दिया नहीं क्युकी वो तो US सिटीजन है, हम तुम्हारे नोटिस का रिप्लाय क्यों दे?
लेकिन नोटिस जाने के सवा डेढ़ महीने के अंदर SEBI चीफ पे ही पर्सनल अटैक कर दिया कि भाई साहब तुम भी अडानी से मिले हो तुम हमारा जो इन्वेस्टमेंट है ऐसे ग्रुप में जो अडानी कंपनी में पैसे लगाता है। सेबी चीफ ने उसपे भी जवाब दे दिया|
अतः हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने भारतीय बाजार में अस्थिरता और निवेशकों के बीच चिंता का माहौल बनाया, लेकिन जांचों के परिणामों ने पुनः स्थिरता प्रदान प्रदान कर दी। लेकिंग हिंडनबर्ग बार बार भारत पर अटैक कर क्यों रहा क्या भारत की बढ़ती ग्रोथ रेट और बढ़ती इकॉनमी से हिंडनबर्ग जल रहा है|