दोस्तों अगर आपसे पूछा जाए कि TATA Moters और Mahindra Moters में से कौन सा ब्रैन्डस गाड़ियों के मामले में ज्यादा बड़ा है तो आप का जवाब TATA ही होगा। लेकिन यह तब तक सही है जब सिर्फ भारत की बात हो। जी हाँ, क्योंकि विदेशी मार्केट्स में आज Mahindra उन्हें बुरी तरह से बीट कर रहा है। भारत में जहाँ TATA ने 2022 में 5.25 लाख कारें बेची थीं और वो तीसरे नंबर पर थे, वहीं महिंद्रा ने 3.33लाख कारें बेची थीं और वह चौथे नंबर पर थे। लेकिन TATA सिर्फ भारत के आस पास के देशों में अपनी गाड़ियों को एक एक्सपोर्ट करता है
जबकि Mahindra की डिमान्ड अमेरिका,ऑस्ट्रेलिया और यूरोप में भी है। अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा की इंडिया में सबके फेवरेट टाटा कैसे बाहर? Mahindra से पीछे और महिन्द्रा कंपनी ऐसा क्या कर रही है जिसकी वजह से TATA कंपनी चाहकर भी उनकी बराबरी नहीं कर सकता है।
सबसे पहले दोस्तों अगर हम इन दोनों कम्पनीज़ के विदेशी मार्केट की बात कर ले तो दोनों ही कम्पनीज़ 100 से भी ज्यादा देशों में अवेलेबल है, लेकिन यह उनके ओवरऑल प्रोडक्ट्स की बात है। अगर हम सिर्फ पैसेंजर वीइकल्स पर फोकस करें तो पाएंगे कि टाटा मोटर्स सिर्फ नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका में अपनी कार
बेच रहा है जबकि महिन्द्रा का बिज़नेस काफी फैला हुआ है। ऐसे में Mahindra नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और श्रीलंका में तो गाड़ियां बेचता ही है, लेकिन साथ ही इंडोनेशिया में भी उनकी अच्छी खासी प्रजेंस है। इसके अलावा न्यूज़ीलैंड और ऑस्ट्रेलिया मार्केट्स में भी महिन्द्रा ने अच्छा नाम कमाया हैं। अफ्रीका और मिडल ईस्ट रीज़न की बात करें तो यूएई, केन्या, मोजाम्बिक, मोरक्को, अनिसिया और साउथ अफ्रीका में भी टाटा की अच्छी पकड़ है
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अब ये बात कई लोगों के लिए बहुत कन्फ्यूजिंग हो सकती है क्योंकि टाटा ग्रुप के पास जैगुआर और लैंड रोवर जैसी इंटरनेशनल ब्रैन्डस है जबकि महिन्द्रा के पास है। इस तरह का कोई बड़ा ब्रैंड नहीं है तो फिर कैसे महिन्द्रा की सेल्स और रीच टाटा से ज्यादा हो सकती है? अब यहाँ जो इंट्रेस्टिंग बाद जो आपको मैं बताने जा रहा हूँ वो आपको हैरान कर सकती है |
Mahindra, TATA से आगे क्यों-
देखो महिन्द्रा की सक्सेस के पीछे जो पहला कारण है वो उनकी गाड़ियां नहीं है बल्कि उनके ट्रैक्टर्स है। शायद आप जानते ही होंगे कि इस समय अगर ट्रैक्टर सेल्स को देखा जाए तो महिन्द्रा दुनिया का सबसे बड़ा ब्रैंड है और हमारे का जैसे देशों में भी। महिन्द्रा तीसरे सबसे बड़े ट्रैक्टर मैन्युफैक्चरर है। यूएस में तो उन्होंने 1994 से ही अपने ट्रैक्टर्स बेचने शुरू कर दिए थे, जिसके बाद वह 2005 में ऑस्ट्रेलिया भी पहुंचे। चीन में भी पहले महिन्द्रा ने कई सारे जॉइंट वेंचर्स के जरिए खुद को स्टैबलिश किया है और वहाँ भी अपना नाम बना लिया है। अब इससे हुआ ये कि इन देशों में महिन्द्रा का नाम लोग जानने लगे और उन्हें यहाँ पर एंट्री मिलती चली गयी थी।
TATA, Mahindra से पीछे होने का कारण-
अगर हम टाटा ग्रोथ की बात करें तो उन्होंने Daewoo जैसे साउथ कोरियन ब्रैन्डस को तो जरूर कर लिया है, लेकिन उसके बाद कभी उन गाड़ियों को टाटा के नाम पर नहीं बेचा। साउथ कोरिया में जहाँ TATA ,DAEWOO की गाड़ियों को TATA DAEWOO के नाम से बेचता है तो वहीं दूसरे देशों में तो उन्होंने टाटा नाम को इस्तेमाल ही नहीं किया है। ऐसे में मार्केट में टाटा के नाम को जानने वाले लोग काफी कम है और जिन्हें TATA का नाम पता भी हैं उन्हें भी यही लगता है कि वो सिर्फ इन के मालिक हैं लेकिन खुद टाटा की इनकी डिज़ाइनिंग में कोई हाथ नहीं है।
और लैंड रोवर की तो उनके साथ यह मुसीबत है कि वहाँ वो चाहकर भी अपना नाम नहीं ऐड कर सकते क्योंकि ये ब्रैन्डस काफी हाई ऐंड कस्टमर्स को सर्व करते हैं और इनकी ब्रेब्रांड इमेज के साथ खेलना टाटा को महंगा भी पड़ सकता है। अब वही पर महिन्द्रा की स्ट्रैटिजी देखिये जिन्होंने जब कोई जॉइंट वेंचर भी किया तो उसमें अपना लोगो और अपना नाम जरूर ऐड किया ताकि लोग उन्हें पहचानना शुरू कर दें। लेकिन जब Mahindra का नाम हो गया तब उन्होंने धीरे धीरे इन मार्केट से अपनी गाड़ियों से इंट्रोड्यू किया |
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