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वक़्फ़ बोर्ड के नाम पर मुस्लिमो का दोगलापन| संविधान से बड़ा वक़्फ़ बोर्ड कैसे हो गया? किस सरकार ने इसे इतनी छूट दे दी ?

क्या है वक़्फ़ बोर्ड क्या है? इसके पास 8 लाख 51 हजार 535 सम्पतिया  कहा से आ गयी? भारत सरकार को इस पर रोक लगानी चाहिए|

वक़्फ़ बोर्ड (मुस्लिम संगठन)-

वक़्फ़ बोर्ड की शुरुआत 1954 में हुई जब भारत पाकिस्तान विभाजन हुआ तो तब ये तय हुआ की जो पाकिस्तान से जो हिन्दू भारत आएगा उसकी जो वहा पर सम्पत्ति थी वह पाकिस्तान की हो जाएगी और जो मुस्लिम भारत से पाकिस्तान जायेंगे उनकी सम्पत्ति भारत की हो जाएगी लेकिन भारत के मुस्लिमो ने यह बात ध्यान न देते हुए मुस्लिमो ने एक वक़्फ़ बोर्ड नाम की संस्था बनायीं और उसको 1954 में कांग्रेस ने कानूनन मान्यता भी दे दी-

फिर जितनी संपत्ति उस वक्त भारत से गए मुस्लिमो की थी उसमे से 90% संपत्ति वक़्फ़ बोर्ड की हो गयी फिर 1995 में कोंग्रेस ने एक वक़्फ़ बोर्ड एक्ट 1995 बनाया जिसमे सात लोग होंगे जिसमे से पांच मेंम्बर होंगे , एक सर्वेयर होगा एक कार्यधिकारी होगा और सबसे बड़ी बात ये सभी स्लामिक(मुस्लिम) होंगे|
वक़्फ़ बोर्ड एक मुस्लिम बोर्ड है सेक्शन 85 के तहत इन्होने अगर आप की जमीन को आपना मान लिया है तो आप सिविल कोर्ट नहीं जा सकते और आपको बिना नोटिस दिए आपकी जमीन इनको ट्रांसफर हो जाएगी अगर आपको केस लड़ना है तो आप को इन्ही के ट्रिब्यूनल कोर्ट में लड़ना पड़ेगा ऊपर से डिसिशन पैनल वाले भी इन्ही के समुदाय मतलब मुस्लिम होते है|
सन 1995 में कांग्रेस ने वक़्फ़ बोर्ड को इतनी तागत दे दी की अगर उसने कह दिया की यह जमीन उसकी है तो वह उसी की है आप उच्च न्यायलय भी नहीं जा सकते मतलब हमारी न्यायपालिका से बड़ा वक़्फ़ बोर्ड हो गया है आज हमारे देश में सबसे ज्याद जमीन भारती सेना दूसरे नॅम्बर पे भारतीय रेल और तीसरे नंबर पे वक़्फ़ बोर्ड के पास सबसे ज्याद जमीन है

भारत जैसे लोकतांत्रित देश में मजहबी आधार पर ऐसे बोर्ड और कानून बनाना कहाँ तक उचित है। पिछले ही दिनों ये खबर आई कि एक पूरे गाँव पर वक्फ बोर्ड ने अपना अधिकार बता दिया है जबकि लोग उस पर सालों से रह रहे हैं और जमीन पर मंदिर भी है।

ये भेदभाव नहीं तो क्या है कि किसी भी अन्य धर्म की संपत्ति से जुड़े मामलों पर सिविल कोर्ट सुनवाई कर लेता है जबकि अगर किसी वक्फ की संपत्ति का विवाद है हो तो वो केवल उनके ट्रिब्यूनल कोर्ट में सुनी जाती है।

यानी अगर वक्फ कभी कहता है कि किसी गैर इस्लामी शख्स की जमीन भी उसके हिस्से में आती है तो उस व्यक्ति को ट्रिब्यूनल कोर्ट जाकर शिकायत करनी पड़ती है वहीं अगर यही विवाद किसी अन्य धर्म के व्यक्ति से जुड़ा है तो बड़े आराम से मामला सिविल कोर्ट में सुना जाता है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि वक्फ का कॉन्सेप्ट इस्लामी देशों तक में नहीं है। फिर वो चाहे तुर्की, लिबिया, सीरिया या इराक हो। लेकिन भारत में मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते आज हालात ऐसे हैं आज ये देश के तीसरे सबसे बड़ा जमींदार बताया जा रहा है। वक़्फ़ बोर्ड को इतना ताकतवर बनाने में कांग्रेस सरकार का सबसे बड़ा हाथ है|

देश भर में चल रहे 5100 केसो में पाया गया की वक़्फ़ बोर्ड हिन्दुओ की जमीनों को जबरजस्ती अपना बता रहा जबकि वो जमीने वक़्फ़ बोर्ड की है ही नहीं | स्वतंत्र भारत में जमींदारी खत्म हो गई लेकिन इस मजहबी जमींदारी को नहीं ख़त्म किया गया और यह दिन प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है सरकार को इस पर बैन लगाना चाहिए क्युकी हमारे संविधान से बड़ा कुछ नहीं हो सकता|

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Anoop Kumar
Anoop Kumarhttp://centric24.com
नमस्कार दोस्तो मेरा नाम अनूप कुमार है मैं Centric24.com का लेखक हूं|

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