रोल्स रॉयस, अगर लग्जरी कार की बात हो तो उसमें सबसे पहले रोल्स रॉयस का नाम आता है,
क्योंकि रोल्स रॉयस दुनिया की सबसे महंगी कार बनाता है और दुनिया की सबसे महंगी कार Rolls Royce Boat Tail जिसकी प्राइस 233 करोड़ है और रोल्स रॉयस की सबसे सस्ती कार की प्राइस 5 करोड़ रुपया है।
इसीलिए अमीर लोगों की सबसे पहली पसंद रोल्स रॉयस की कार होती है और जब रोड पर रोल्स रॉयस कार निकलती है तो सभी लोग उसको देखते ही रह जाते हैं। लेकिन रोल्स रॉयस में ऐसा तो क्या है की जिससे वो सबसे अलग दिखती है और कैसे रोल्स रॉयस की शुरुआत हुई थी? और कैसे एक आम गरीब बच्चे ने रॉल्स रॉयस को बनाया चलो जानते हैं।
रोल्स रॉयस की कहनी-
इस कहानी की शुरुआत होती है इंग्लैंड के Peterborough से जहाँ पर हेनरी रॉयस रहते थे और वो अपने पांच भाई बहनों में सबसे छोटे थे और उनकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी
इसलिए पूरा परिवार लंदन शिफ्ट हो गया और वहाँ आने के बाद 1872 में हेनरी रॉयस के पिता की मौत हो गई और उसके बाद घर की सारी जिम्मेदारी इन पांच भाई बहनों में आ गई थी। इसलिए सभी भाई बहनों ने कमाना शुरू कर दिया और उनमें सबसे छोटे हेनरी रॉयस उसने अखबार बेचने का काम शुरू किया था और जब वो 14 साल के हो गए तो उसको ग्रेटर नोडल रेलवे वर्क्स में अप्रेंटिसशिप करने के लिए भेज दिया।
हेनरी रोज़ कभी स्कूल तो नहीं गया लेकिन उसे पढ़ाई करने का जज्बा बहुत था और उन्होंने अप्रेंटिसशिप के दौरान इंजीनियर के साथ रहते थे और उनसे उन्हें बहुत कुछ सीख लिया था। वो दिन में काम करते थे। वो रात में इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर की बुक पढ़ते थे और 3 साल बाद पैसों की तंगी की वजह से उन्होंने अप्रेंटिसशिप को छोड़ दिया और उन्होंने 4 साल तक कुछ अलग अलग काम किया। लेकिन साथ में जैसे मैंने आपको बताया की उन्हें
इलेक्ट्रॉनिकल इंजीनियर के अंदर बहुत इंटरेस्ट था। इसकी वजह से साल 1884 में अर्नेस्ट क्लेयरमोंट के साथ मिलकर F.H Royce & Company खोली। इस कंपनी का काम था कि बिजली के छोटे छोटे पार्ट बनाना और देखते ही देखते अगले 10 सालों के अंदर कंपनी ने डाइनेमो,डोर बेल और इलेक्ट्रॉनिक भी बनाना शुरू कर दिया।
कुछ वक्त के बाद हेनरी रोज़ ने सोचा कि उसे कार मार्केट के अंदर भी आना है, लेकिन उसे कार की कोई भी नॉलेज थी ही नहीं और साल 1903 में Henry Royce ने French Deco कार को खरीद लिया
और उन्होंने इस कार को बहुत अच्छी तरह से समझ लिया और कार के अंदर कौन कौन सी चीजे होती है वो सभी चीजें इन्होने देख ली। और कार के अंदर क्या क्या खामियां हैं जिसे वो सॉल्व कर सकते हैं? वो सभी चीजें देखने के बाद उसने कार बनाने का सोच लिया। साल 1903 के एंड तक उसने फर्स्ट पेट्रोल इंजिन भी बना लिया था। उसने एप्रिल 1904 तक रॉयस 3hp कार भी बना ली थी। वो भी एक नहीं तीन-तीन कार बनाई थी। उनमें से एक कार अपने पास रखी और दूसरी अपने बिज़नेस पार्टनर अर्नेस्ट को बेच दें।
और तीसरी कार अर्नेस्ट के दोस्त हेनरी एडमंड्स को दे दी। अब यहाँ आता है एक ट्विस्ट क्योंकि हेनरी एडमंड्स ने जो कार खरीदी थी, उसने अपने कार डीलर दोस्त चार्ल्स रोल्स को बताया। अब चार्ल्स रोल्स कौन थे
चार्ल्स रोल्स विदेशों से आए कारों को बेचकर थक गए थे और उसने जब एडमंड्स की 30hp कार को देखा तो वो उसको बहुत अच्छी लगी। जिसने इस कार को बनाया था, उसे रोज़ मिलना चाहते थे और एडमंड्स ने चार्ल्स रोल्स और हेनरी रॉयस की मीटिंग फिक्स कर आई।
और किसी को अंदाजा भी नहीं था कि इस मीटिंग के बाद दुनिया की सबसे लग्जरी कार बनने वाली थी। फिर ये दोनों मिले और दोनों ने कार बनाने के बारे में बातचीत की और इन दोनों ने डिसाइड किया की रॉयस कार को बनाएंगे और रोल्स कारो को बेचेंगे
रोल्स के बिज़नेस प्लैन की वजह से ये कार चलने लगी। साल 1907 में कंपनी ने 6 सिलेंडर वाली एक कार बनाई और ये कार इतनी अच्छी थी कि उस समय इस कार को बेस्ट कार ऑफ वर्ड कहा जाने लगा था
और जब धीरे धीरे रोल्स रॉयस की कार मार्केट में चलने लगी थी तो उसके सिर्फ 4 साल बाद 1910 में चार्ल्स रोल्स की हवाई दुर्घटना में मौत हो गई और अब सारी जिम्मेदारी हेनरी Royce के ऊपर आ गई थी और फिर हेनरी रॉयस को काफी सारा ज्यादा काम करना पड़ा था।
लेकिन उसने कभी हार नहीं मानी और हेनरी रॉयस ने कार के अंदर बेस्ट डिजाइन रखी, बेस्ट मटिरीअल को यूज़ किया और कार को बनाई और फिर जब कस्टमर को बेचिए तो सभी लोग उसकी तारीफ करने से रोक नहीं पाए।
हेनरी रॉयस कहते थे कि जो भी काम करो, उसमें परफेक्शन लाने के लिए लड़ो और बेस्ट को भी बेटर बनाओ और अगर बेस्ट नहीं है तो उसे खुद बनाओ। इसीलिए रोल्स रॉयस की सभी कारे बेस्ट मटेरियल से बनी हुई होती है।
इसी की वजह से रोल्स रॉयस की कार सबसे अच्छी होती है। आप जब रॉल्स रॉयस कार लेने जाओगे और आप जब भी उसे कुछ कहोगे उससे मॉडिफाई करने के लिए तो वो आपके मुताबिक मॉडिफाई करेंगे। अगर आप साउंड प्रूफ कहेंगे तो वैसे भी वो बना देंगे
और आप मानोगे नहीं की 1914 में रॉल्स रॉयस ने एरोप्लेन के लिए भी इंजन बनाना शुरू किया था और उसने सबसे पहला इंजन Eagle बनाया था। साल 1930 में रोल्स रॉयस ने बैंटली नाम की स्पोर्ट रेसिंग कार कंपनी को भी खरीद लिया था, लेकिन उसके कुछ ही साल बाद 1933 में हेनरी रॉयस की मौत हो गई। फिर कंपनी के अंदर सारा काम बिखर चुका था, लेकिन फिर कंपनी ने कमबैक किया।
फिर 1951 में कंपनी ने पहली डीज़ल इंजन से चलने वाली लग्जरी कार बनायी। फिर रोल्स रॉयल ने डिसाइड किया कि उसे अपनी कार को और अच्छी बनाने के लिए और लोगों को हायर करना पड़ेगा और फिर उसने हजारों एंप्लॉयर को हायर किया। कंपनी ने कई सारे रोल्स रॉयस के मॉडल को लॉन्च किया। सभी मॉडल बहुत तेजी से मार्केट में धूम मचा रहे थे और उन सभी कारों के ज्यादातर नाम कुछ ऐसे थे। Phantaom, Wraith, Silver Wraith, Silver Down, Silver Cloud, Rolls Royce Ghost, Boat Tail ऐसे कुछ नाम थे
आपको एक बात शायद नहीं पता होगी कि आज रोल्स रॉयस की पैरेंट कंपनी BMW है। जो उसकी तरह लग्जरी कार बनाती है और आज भी Rolls Royce की 65% कार रोड पर चलती है और जहाँ रोल्स रॉयस ने 2005 में सिर्फ 700 कारें बेची थीं और आज के टाइम के अंदर 2022 में 6,000 कारों को बेचा था, ये नंबर बहुत कम लग रहा होगा। लेकिन रॉल्स रॉयस की कारें आम लोग नहीं लेते हैं। उसकी प्राइस ₹5 करोड़ से तो शुरू होती है और एक रोल्स रॉयस को बनाने में करीब 6 महीने का वक्त लगता है तब ये लग्जरी कार बनती है।
आज करीब 31 बिलियन डॉलर का रोल्स रॉयस का मार्केट कैप है। और हाँ, आज भी रोल्स रॉयस कार बनाने का ज्यादातर काम इंसानों से होता है यानी की हाथों से खुद बनाते हैं। तभी तो रॉल्स रॉयस की कारे 200 करोड़ तक भी बिकती है| और इंडिया में भी बहुत सारे रोल्स रॉयस है, लेकिन अल्ट्रा रिच लोगों के पास ही है। आपकी फेवरेट कार कौन सी है? दोस्तों कमेंट में जरूर बताना और आपको स्टोरी कैसी लगी? कमेंट में जरूर बताना|