रियल एस्टेट पर लगने वाला लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की नई दर 12% हो गई है, जबकि पहले यह 20% थी। हालांकि, अब इंडेक्सेशन इफेक्ट लागू नहीं होगा, जिससे टैक्स की गणना में बदलाव आएगा। इससे पहले, इंडेक्सेशन की मदद से लोग टैक्स बचाते थे, लेकिन अब यह सुविधा नहीं रहेगी।
अब देखिए इन्फ्लेशन की वजह से इंडेक्सेशन इफेक्ट ऐड किया जाता है। क्युकी समय के साथ महंगाई भी बढ़ती है मान लीजिए की आप एक प्रॉपर्टी खरीद लेते हो। ₹50,00,000 की विथ इंडेक्सेशन इफेक्ट के बाद 6 -7 साल बाद उसकी वैल्यू ₹80,00,000 निकाली जाती है। फिर आप उस प्रॉपर्टी को 90,00,000 में बेच देते हो तो आपका जो टैक्सेबल गेन है वो मात्र 10,00,000 का है लेकिन अब इंडेक्सेशन इफेक्ट है नहीं, ज्यादा हो, कम हो आपको जो ओरिजिनल प्राइस है,
आपकी बाइंड प्राइस वही फाइनल प्राइस काउंट की जाएगी। यानी 50,00,000 की प्रॉपर्टी अपने 90,00,000 में बेची है। 40,00,000 की जो बीच में अमाउंट है, उस पर आपको टैक्स पे करना पड़ेगा। साढ़े 12% के हिसाब से तो जहाँ इंडेक्सेशन की मदद से पहले आपको सिर्फ ₹2,00,000 का टैक्स लगता था, वहाँ पर अब आपको ₹5,00,000 का टैक्स लगेगा।
इस तरह से जिन लोगों ने बहुत सालो से अपनी प्रॉपर्टीस खरीद के रखी है उनकी कीमते बहुत ज्यादा बड़ी है। अब उनको बहुत सारे टैक्सेज भरने पड़ेंगे।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स की नई दर 12% हो गई है, जबकि पहले यह 20% थी। हालांकि, अब इंडेक्सेशन इफेक्ट लागू नहीं होगा, जिससे टैक्स की गणना में बदलाव आएगा। इससे पहले, इंडेक्सेशन की मदद से लोग टैक्स बचाते थे, लेकिन अब यह सुविधा नहीं रहेगी।
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