कहानी केश-किंग की –
आज की कहानी के जो हीरो है वो है संजीव जी। इनके पिता जी आयुर्वेदिक डॉक्टर थे। इनका एक छोटा सा क्लिनिक है जहाँ पे आयुर्वेदिक की दवाइयो का ये काम किया करते थे तो उन्हें पिताजी के साथ रहके आयुर्वेदिक दवाईयों और बाकी चीजों का काम सीख लिया।
लेकिन साल 1999 में जब उनके पिताजी की मृत्यु हो गयी तो इनकी हालत बहुत टाइट हो गई। ऐसा लगा की भईया पिताजी तो चले गए। अब काम कैसे होगा? एक ऑप्शन था की क्लिनिक बंद कर देते हैं और अपने लेवल पे कुछ और चालू कर देते हैं।
लेकिन फिर इन्होंने कहा नहीं यार पिता की विरासत है इसी को आगे बढ़ाते हैं तो माताजी से ₹2000 उधार लिए और वो जो छोटा सा ऑफिस था जहाँ पे इनका काम चला करता था।
वही से एक बिज़नेस की नई शुरुआत की तो उसके बाद जब खुद सेल्फ बिज़नेस चालू किया तो कई छोटे-मोटे प्रॉडक्ट बनाए। ठीक-ठाक सफलता मिली। लेकिन जो असली टर्निंग पॉइंट था वो था सन 2008।
जब एक दिन इनको लगा है मेरे बाल झड़ रहे है।
तो इसके लिए कुछ करे तो आयुर्वेदिक में जो कुछ सीखा था प्रयास किया एक्स्पेरिमेन्ट किया और एक तेल बनाया, खुद तो अप्लाई किया, देखा यार बाल झड़ने रुक गए तो उसने सोचा इस प्रॉडक्ट को बेचते और उस प्रोडक्ट का नाम रखा केश-किंग|
लेकिन अब उस दौर को याद करो। साल 2008 के आसपास उसमें बहुत सारी MMC कंपनी है और बहुत सारे हेयर के प्रॉडक्ट आते थे।
इतने बड़े मार्केट में इतनी बड़ी बड़ी MMC कंपनी के सामने कैसे लड़े? एक छोटा सा आयुर्वेदिक कंपनी वाला उन्होंने कहा, देखो अभी जो मार्केट में जितनी भी ब्रांडिंग हो रही है वो सारी स्टाइलिंग पे हो रही है कि आपके जो बाल है वो भैया चमकने चाहिए, खुले होने चाहिए।
लम्बे होने चाहिए, स्टाइलिंग की बात कर रहे हैं। सुंदर लगने की बात हो रही थी। लेकिन बालों की हेल्थ की बात नहीं हो रही थी। उन्होंने कहा, मैं हेल्थ की बात करूँगा।
शुरुआत के 2 साल ये खुद दुकानों पे गए। उन्होंने सोचा की केश-किंग को बेचे कहा पर? मेडिकल की दुकान से या जनरल स्टोर से? तो ये शुरुआत में खुद जनरल स्टोर पे जाते थे। और केश-किंग की एक-एक शीशी हाथ से बेचते थे।और उसके फायदे उसके बताते थे।
फिर उनकी प्रॉब्लम सुनते थे और बाजार में क्या चल रहा है, क्या नहीं चल रहा है और उन्हें उस दौरान मेडिकल वालों को और जीतने भी डिपार्टमेंट वाले हैं। इनको अच्छा खासा डिस्काउंट या अच्छा-खासा मार्जिन दिया|
कि यार तुम इस बड़े ब्रांडी की बोतल बेचते हो ₹2 मिलते हैं, मेरी केश-किंग की बोतल बेचोगे, इतने रुपये मिलेंगे तो जब इतना मार्जिन मिला तो अगर कोई व्यक्ति आता था तो दुकानदार कहता था यार ये (केश-किंग) वाली लो, आजकल अच्छी चल रही है उसके बाद इन्होंने फिर पेपर में बड़े बड़े Ads देने चालू किया।
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कस्टमर से सीधी बात की। भैया तुम स्टाइलिंग के पीछे पागल हो या तुम्हे हेल्थ चाहिए तो जिनके भी समझ में आया बात तो सही है, हेल्थ पे भी तो ध्यान देना चाहिए अब कस्टमर जाके दुकान में मांगने लग गया की भैया केश-किंग तेल दे दो
तो भईया इसकी सेल धीरे धीरे आगे बढ़ी। जब थोड़ा सेल में ज़ोर आया और जेब में थोड़े पैसे खनके तो उन्होंने कहा, इसके साथ सेलिब्रिटी भी जोड़ लेते हैं तो उस समय उन्होंने जोड़ा जूही चावला को जो की एकदम इन सेलेब्रिटी नहीं थी। अगर कोई ट्रेंडी सेलिब्रिटी को लेते तो भाई बहुत मोटे पैसे मांगते।
अब जूही चावला वैसे तो फेमस है लेकिन काफी समय से पिक्चरों से दूर है तो कम बजट में इनका काम भी हो गया।
अब उसका इम्पैक्ट क्या हुआ? पहले साल की सेल ₹6,00,00,000 पर दूसरे साल ये फिगर हो गया। डबल ₹13 करोड़, तीसरे साल फिगर फिर डबल हो गया ₹29 करोड़ फिर ये फिगर पांच गुना हो गया 150 करोड़ उसके बाद ये फिगर चला गया ₹300 करोड़ रूपये
तो कोई कंपनी 60% से ज्यादा CAGR रेट से ये ग्रोथ कर रहा था। तो हर बड़ी बड़ी कंपनी की निगाह आती है अरे ये क्या चीज़ बिक रही है? अरे ये तो हमें भी बेचनी है। अब वो इतनी जल्दी प्रॉडक्ट बनना मुश्किल था और इस प्रॉडक्ट का नाम तो भैया बाजार में पहुंच गया था तो बड़ी कमियों ने कहा नया प्रॉडक्ट बनाने से अच्छा है इसी को खरीद ले।
तो Godrej, Emami बहुत सारे ब्रांड आए, लेकिन फाइनली Emami ने इनके सेल का पांच गुना वैल्यूएशन करके 1651 करोड़ में केश-किंग की पूरी कंपनी को खरीद लिया।
अब जब इनसे पूछा गया की भैया इतना सक्सेसफुल चीज़ थी तो आपने बेचा क्यों? इन्होंने कहा देखो ऐसा है इतने बड़े लेवल पे हम पहुँच गए थे, हमको भी नहीं पता था इतनी सफलता मिलेंगे। अब इस सफलता को मैनेज कैसे करना है? मुझे बहुत ज्यादा इंफ्रास्ट्रक्चर लगाना पड़ेगा, जगह-जगह व्होलेसलेर बनाने पड़ेंगे। डीलर बनाने पड़ेंगे।
वेयरहाउस बनाने पड़ेंगे। मुझे मेरी फॅक्टरी का सेटअप बड़ा करना पड़ेगा। अब इतना सारा काम मैं इस प्रॉडक्ट के साथ करने से अच्छा है की इस प्रॉडक्ट को किसी को और बेच दू और एक नया प्रॉडक्ट बनाने में दिमाग लगाऊ।
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धन्यवाद,